मुंबई। अजित पवार और शरद पवार के बीच छिड़ी सियासी लड़ाई के बीच बड़ी खबर सामने आई है। अजित पवार ने चाचा शरद पवार को एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया है। अजित पवार खुद ही एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं। कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने आज राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक बुलाई जिसमें प्रस्ताव पास किया गया है कि पार्टी लोगों के कल्याण के उद्देश्य से दूर जा रही है, ऐसे में शरद पवार की जगह अजित पवार को अध्यक्ष चुना जाता है। चुनाव आयोग में भी अजित पवार गुट ने अर्जी दायर की है। इसमें बताया गया है कि 30 जून को मुंबई में हुई कार्यकारिणी की बैठक में अजित पवार को एनसीपी का अध्यक्ष चुना गया है।
निर्वाचन आयोग पहुंची पवार गुट की लड़ाई
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की गुटीय लड़ाई निर्वाचन आयोग के दरवाजे तक पहुंच गयी है और अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह ने उनके समर्थन में विधायकों और सांसदों के 40 से अधिक हलफनामे दाखिल किये हैं। निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने बताया कि शरद पवार खेमे ने आयोग के समक्ष एक याचिका दायर कर अनुरोध किया है कि गुटीय लड़ाई के संबंध में कोई भी निर्देश पारित करने से पहले उनकी बात सुनी जाए।
निर्वाचन आयोग आगामी दिनों में याचिकाओं पर कार्रवाई कर सकता है और दोनों पक्षों से उसके समक्ष प्रस्तुत संबंधित दस्तावेजों का आदान-प्रदान करने के लिए कह सकता है। शरद पवार द्वारा 1999 में स्थापित राकांपा में रविवार को विभाजन हो गया और अजित पवार 40 से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए महाराष्ट्र में शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी गठबंधन सरकार में शामिल हो गए। रविवार को अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री और राकांपा के आठ अन्य विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली।
अजित पवार गुट ने ठोका पार्टी पर अपना दावा
अजित पवार ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, दिलीप वाल्से पाटिल के साथ असली राकांपा होने का दावा किया। शरद पवार ने भी असली राकांपा होने का दावा किया और पटेल तथा लोकसभा सदस्य सुनील तटकरे को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को भी पत्र लिखकर रविवार को मंत्री पद की शपथ लेने वाले नौ विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है।