Thursday, July 4, 2024
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पुणे में जीका का प्रकोप, 2 गर्भवती महिलाओं समेत 6 संक्रमित

पुणे। महाराष्ट्र के पुणे में जीका वायरस तेजी से फैल रहा है। अब तक शहर में जीका वायरस से संक्रमित 6 लोग पाए गए हैं। इसमें दो गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। पुणे नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार, संक्रमित महिला पहली जीका संक्रमित महिला के घर से सिर्फ 150 मीटर दूर रहती है। वह 12 सप्ताह की गर्भवती है। दोनों संक्रमित महिलाओं की हालत स्थिर है। नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि संन्क्रमित गर्भवती महिलाओं में कोई लक्षण नहीं है। उनके स्वास्थ्य और भ्रूण के विकास पर बारीकी से नजर रखी जा रही हैं। छह महीने की गर्भवती 28 वर्षीय महिला की अन्य जांच कराई जा रही है। जानकारी के मुताबिक, 35 साल की गर्भवती महिला के सैंपल 27 जून को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) भेजे गए थे. जिसके रिपोर्ट में महिला को जीका वायरस से संक्रमित होने का पता चला। यह रिपोर्ट सोमवार को नगर निगम को मिली।
डोर-टू-डोर सर्वे शुरू
स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, पिछले सप्ताह 20 से अधिक नमूने एनआईवी को भेजे। स्वास्थ्य अधिकारियों को मुंढवा और एरंडवने इलाके में गर्भवती महिलाओं के नमूने लेने के निर्देश दिए गए हैं। नगर पालिका डोर-टू-डोर सर्वे कर रही है। पुणे शहर में अब तक जीका वायरस के छह मामले सामने आ चुके हैं। इसमें एरंडवने के 46 वर्षीय डॉक्टर और उनकी 15 वर्षीय बेटी भी शामिल है। मुंढवा की एक 47 वर्षीय महिला और उसका 22 वर्षीय बेटा भी जीका वायरस से संक्रमित हुआ है।इसके अलावा, दो गर्भवती महिलाएं भी इस वायरस की चपेट में आ गयीं हैं। जीका वायरस के संपर्क में आने वाली गर्भवती महिलाओं के भ्रूण पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।
कैसे फैलता है जीका वायरस?
जीका वायरस मुख्य रूप से संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। हालाँकि यह कोई गंभीर संक्रमण नहीं है, लेकिन अगर यह गर्भवती महिला को संक्रमित कर दे तो यह भ्रूण के लिए खतरनाक हो सकता है। जीका वायरस यौन संबंध बनाने पर भी फैल सकता है। इसके अलावा कुछ दुर्लभ मामलों में जीका वायरस संक्रमित खून चढ़ाने से भी फैला है।
गर्भवती महिलाएं रहें सावधान
जीका से संक्रमित अधिकांश लोग या तो लक्षणहीन होते हैं या उनमें बुखार, शरीर पर दाने, शरीर और जोड़ों में दर्द जैसे हल्के लक्षण होते हैं। गर्भवती महिलाओं के जीका वायरस से संक्रमित होने पर नवजात शिशुओं पर असर पड़ने की संभावना होती है। नवजात शिशुओं में आंखों की समस्या, सुनने की क्षमता में कमी जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। कई मामलों में मस्तिष्क के असामान्य विकास के कारण बच्चे का सिर बहुत छोटा होता है।

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