
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने राज्यभर में तकनीकी शिक्षा के आधुनिकीकरण, रोजगार सृजन और दिव्यांग छात्रों को समावेशी शिक्षा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके तहत प्रदेश के 20 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में अत्याधुनिक प्रयोगशालाएँ स्थापित की जाएंगी। यह पहल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में कौशल, रोजगार, उद्यमिता और नवाचार विभाग द्वारा तीन सामाजिक क्षेत्र भागीदारों के साथ किए गए समझौता ज्ञापनों (MoU) के माध्यम से की गई है। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद आयोजित इस एमओयू समारोह में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, अजित पवार, कौशल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, मुख्य सचिव सुजाता सौनिक, अतिरिक्त मुख्य सचिव मनीषा वर्मा तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
तीन प्रमुख सहयोग समझौते
इन समझौता ज्ञापनों पर बेंगलुरु स्थित श्री श्री ग्रामीण विकास ट्रस्ट, श्नाइडर इलेक्ट्रिक इंडिया फाउंडेशन, पुणे के देआसरा फाउंडेशन और मुंबई स्थित प्रोजेक्ट मुंबई के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं। इनका उद्देश्य व्यावसायिक प्रशिक्षण, सूक्ष्म और लघु उद्यमियों का समर्थन, और दिव्यांग छात्रों के लिए समावेशी कौशल विकास को प्रोत्साहित करना है।
प्रयोगशालाओं का आधुनिकीकरण
अगले तीन वर्षों में महाराष्ट्र के 20 चयनित आईटीआई में विद्युत कार्यशालाओं का उन्नयन किया जाएगा। इसके साथ ही सौर तकनीशियन और औद्योगिक स्वचालन की प्रयोगशालाएँ भी स्थापित की जाएंगी, जिससे छात्रों को आधुनिक औद्योगिक तकनीकों की जानकारी मिल सके।
बेंगलुरु में निःशुल्क आवासीय प्रशिक्षण
इलेक्ट्रीशियन ट्रेड से चयनित प्रशिक्षुओं को बेंगलुरु स्थित ट्रेनिंग सेंटर में 15 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें आधुनिक तकनीकों के साथ सॉफ्ट स्किल्स भी सिखाए जाएंगे। यह प्रशिक्षण पूरी तरह निःशुल्क होगा।
प्रशिक्षण का लक्ष्य
इस योजना के अंतर्गत अगले चार वर्षों में मुंबई, पुणे, नागपुर, नासिक, अमरावती और अन्य क्षेत्रों के 9,750 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। देआसरा फाउंडेशन के साथ हुए एमओयू के तहत महाराष्ट्र इनोवेशन सोसाइटी द्वारा 5,000 सूक्ष्म और लघु उद्यमियों को प्रशिक्षित किया जाएगा और उन्हें व्यवसायिक मार्गदर्शन भी दिया जाएगा, जिससे उनका सशक्तिकरण हो सके। प्रोजेक्ट मुंबई के साथ किए गए समझौते के अनुसार दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। इसमें भारतीय सांकेतिक भाषा आधारित पाठ्यक्रम, नौकरी पर आधारित प्रशिक्षण, और रोजगार के अवसर शामिल होंगे।