
मुंबई। नंदुरबार जिले में अतिक्रमित भूमि पर बने अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटाने के लिए महाराष्ट्र सरकार जल्द कड़ी कार्रवाई करेगी। यह जानकारी राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने विधानसभा में दी। उन्होंने कहा कि ऐसे स्थलों के विरुद्ध शिकायतों की जांच आगामी छह महीनों में विभागीय आयुक्त द्वारा पूरी की जाएगी, और आवश्यकता अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी। यह निर्णय विधानसभा में सदस्य अनूप अग्रवाल द्वारा उठाए गए एक विशेष सुझाव के जवाब में लिया गया। इस विषय पर हुई चर्चा में अतुल भातखलकर, सुधीर मुनगंटीवार, डॉ. संजय कुटे, गोपीचंद पडलकर और शंकर जगताप जैसे विधायकों ने भी उप-प्रश्न पूछकर भाग लिया। मंत्री बावनकुले ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के 5 मई 2011 के आदेश और गृह विभाग के 7 मई 2018 के शासनादेश के अनुसार कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि जबरन धर्मांतरण के मामलों को रोकने के लिए सरकार एक सख्त कानून लाने की दिशा में मुख्यमंत्री से चर्चा कर रही है, जो जल्द ही गृह विभाग के माध्यम से लागू किया जाएगा। वहीं, आदिवासी विकास मंत्री अशोक वुइके ने कहा कि धर्मांतरित अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के नागरिकों को उनकी मूल श्रेणी के संवैधानिक लाभों की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस विषय पर एसटी वर्ग के 26 विधायकों की बैठक आयोजित की जाएगी और एक विशेष समिति गठित कर जबरन धर्मांतरण का विश्लेषण किया जाएगा। इस समिति के माध्यम से यह भी तय किया जाएगा कि क्या ऐसे धर्मांतरित परिवारों को फिर से एसटी लाभ दिए जा सकते हैं, और इसके लिए कोई विशेष योजना बनाई जा सकती है। यह पूरा घटनाक्रम राज्य में धार्मिक पहचान, भूमि अतिक्रमण, और आदिवासी अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर सरकार की नई नीति और राजनीतिक दृष्टिकोण को रेखांकित करता है। सरकार एक ओर अतिक्रमण और अवैध निर्माणों पर सख्ती दिखाना चाहती है, तो दूसरी ओर आदिवासी समाज में धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर संवैधानिक और कानूनी स्तर पर हस्तक्षेप की तैयारी कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम आने वाले स्थानीय और विधानसभा चुनावों से पहले आदिवासी मतदाताओं को साधने और धार्मिक ध्रुवीकरण की पृष्ठभूमि तैयार करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। आने वाले समय में इस नीति के कानूनी और सामाजिक प्रभाव पर बारीकी से नजर रखना होगा।