
मुंबई। मुंबई पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) ने गुजरात में एक बड़े रियल एस्टेट प्रोजेक्ट से जुड़े कथित घोटाले में गोडरेज प्रॉपर्टीज लिमिटेड को करीब 110 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने के आरोप में श्री सिद्धि इंफ्राबिल्ड ग्रुप के प्रमोटरों और उससे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यह मामला रियल एस्टेट सेक्टर में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं और फंड डायवर्जन का बताया जा रहा है। यह एफआईआर गोडरेज प्रॉपर्टीज लिमिटेड के सीनियर जनरल मैनेजर निसर्ग विनय पंड्या (39) की शिकायत पर दर्ज की गई है। मामले में जिन आरोपियों के नाम शामिल हैं, उनमें मुकेश पटेल, कल्पेश ए. पटेल, कल्पेश बी. पटेल, जैस्मिन मुकेश पटेल, साथ ही श्री सिद्धि इंफ्राबिल्डकॉन एलएलपी और श्री सिद्धि इंफ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। शिकायत के मुताबिक, 17 जुलाई 2017 से 15 अगस्त 2025 के बीच गोडरेज प्रॉपर्टीज ने गुजरात स्थित गोडरेज गार्डन सिटी (सेलेस्टे) प्रोजेक्ट के लिए आरोपियों के साथ डेवलपमेंट और लोन एग्रीमेंट किए थे। इन समझौतों के तहत गोडरेज प्रॉपर्टीज ने प्रोजेक्ट के लिए 57.30 करोड़ रुपए का लोन मंजूर किया। इसके अलावा, प्रोजेक्ट के लिए घर खरीदारों से भी बड़ी मात्रा में धनराशि एकत्र की गई। जांच एजेंसियों के अनुसार, इस प्रोजेक्ट के संबंध में कुल 279.02 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त हुई थी।
आरोप है कि इस पूरी रकम का उपयोग निर्माण और विकास कार्यों में करने के बजाय, इसका एक बड़ा हिस्सा कथित तौर पर निजी लाभ के लिए डायवर्ट कर दिया गया। गोडरेज प्रॉपर्टीज का दावा है कि आरोपियों ने रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट (RERA) के प्रावधानों और डेवलपमेंट एग्रीमेंट की शर्तों का उल्लंघन करते हुए करीब 110 करोड़ रुपए का गबन किया। इस कथित फंड डायवर्जन से न केवल गोडरेज प्रॉपर्टीज को भारी वित्तीय नुकसान हुआ, बल्कि प्रोजेक्ट में निवेश करने वाले घर खरीदारों के हितों को भी गंभीर क्षति पहुंची। यह एफआईआर शुरुआत में विक्रोली पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी, लेकिन मामले की गंभीरता और वित्तीय लेनदेन के बड़े पैमाने को देखते हुए जांच को इकोनॉमिक ऑफेंस विंग को सौंप दिया गया। आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 318(4), 316(2), 316(5) और 61(2) के तहत आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप लगाए गए हैं। फिलहाल ईओडब्ल्यू द्वारा कथित वित्तीय अनियमितताओं, फंड के डायवर्जन और लेनदेन से जुड़े दस्तावेजों की गहन जांच जारी है।




