
प्रयागराज। गंगा संरक्षण और स्वच्छता को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सह सरकार्यवाह डॉ.कृष्णगोपाल ने कहा कि जिस दिन गंगा के लिए राममंदिर जैसा आंदोलन खड़ा हो जाएगा, उस दिन गंगा अपने मूल स्वरूप में लौट आएगी। वे तीन दिवसीय चले गंगा समग्र के राष्ट्रीय कार्यकर्ता संगम को संबोधित कर रहे थे, जिसमें देशभर से हजारों स्वयंसेवक शामिल हुए।
गंगा, गीता, गायत्री, गोविंद और गाँव को जोड़ने का आह्वान
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने गंगा, गीता, गायत्री, गोविंद और गाँव को आपस में जोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गंगा हिंदू समाज की आस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। कार्यक्रम के दौरान गंगा समेत अन्य नदियों को प्रदूषण से बचाने और उनके पुनरुद्धार पर व्यापक विमर्श हुआ। गंगा समग्र के ब्रज प्रांत संयोजक डॉ. रविशरण सिंह चौहान के नेतृत्व में बरेली से बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने संगम में सहभागिता की।
महाकुंभ में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
महाकुंभ में इस वर्ष 144 वर्षों बाद अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, जिसमें लाखों श्रद्धालु पुण्य स्नान कर रहे हैं। महानगर संयोजक ठाकुर अखिलेश सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कुंभ की व्यवस्था बेहद व्यवस्थित और सुव्यवस्थित रही। सभी घाटों पर स्वच्छता, चिकित्सा, शौचालय, पेयजल आदि की उत्तम व्यवस्थाएँ की गई हैं।
देशभर से हजारों स्वयंसेवक हुए शामिल
गंगा समग्र के राष्ट्रीय कार्यकर्ता संगम में पूरे देश से पाँच हजार से अधिक स्वयंसेवक पहुंचे। बरेली से 54 कार्यकर्ता और ब्रज प्रांत से 155 कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की। मंच संचालन राष्ट्रीय महामंत्री डॉ.आशीष गौतम ने किया।
प्रमुख उपस्थित हस्तियाँ
इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेंद्र प्रसाद सिंह, राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष, राष्ट्रीय मंत्री रामशंकर सिंहा, अवधेश कुमार गुप्ता, राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. आशीष गौतम, राष्ट्रीय नदी आयाम प्रमुख राजेश कुमार, राष्ट्रीय आयाम प्रमुख डॉ. आर.के.दीक्षित समेत कई प्रमुख हस्तियाँ उपस्थित रहीं। कार्यक्रम में अमित शर्मा, लाल बहादुर सिंह, विक्रम सिंह, मीना सिंह, भारती रौतेला, निधि खंडेलवाल, रतन गुप्ता, हर्ष भारद्वाज, संतोष, शैलेंद्र सिंह, डॉ.रामनारायण सक्सेना, पिंटू गुप्ता, राधारानी वर्मा सहित कई गणमान्य कार्यकर्ता शामिल हुए। कार्यक्रम में वक्ताओं ने गंगा की अविरलता और निर्मलता बनाए रखने के लिए जनसहभागिता और आंदोलन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि संस्कृति और आध्यात्मिकता की जीवनधारा है, जिसे स्वच्छ और संरक्षित रखना हर हिंदू का कर्तव्य है।




