
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के शरदकालीन सत्र के पहले दिन पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को श्रद्धांजलि देने के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी बहस हुई। विवाद 2019 में आर्टिकल 370 और 35ए को निरस्त किए जाने में मलिक की भूमिका को लेकर हुआ। मलिक, जो पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के अंतिम राज्यपाल थे, का इस साल 5 अगस्त को निधन हो गया था। सत्र के पहले दिन दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दी जा रही थी। जैसे ही मलिक का नाम आया, नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक बशीर वीरी ने उनकी भूमिका को विवादास्पद बताया। कांग्रेस विधायक गुलाम अहमद मीर ने नरम आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा के प्रति वफादारी के बावजूद मलिक को सम्मान नहीं मिला, जबकि माकपा के यूसुफ तारिगामी ने मलिक के संवेदनशील समय में पद पर बने रहने का जिक्र किया। भाजपा के आरएस पठानिया ने बहस रोकते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना चुका है और श्रद्धांजलि सभा में ऐसी चर्चा नहीं होनी चाहिए। पीडीपी विधायक रफीक अहमद नाइक ने सदस्यों से शालीनता बनाए रखने की अपील की। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नजीर गुरेजी ने कहा कि मलिक की अंतिम वर्षों में उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं किया गया। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सभी इंसान गलतियां करते हैं और सत्यपाल मलिक के जीवन और कार्य को इतिहास याद रखेगा। मलिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीखे आलोचक बन गए। खासकर कृषि कानूनों को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान वे उनकी आलोचना करते नजर आए थे। साथ ही उन्होंने 2019 के पुलवामा हमले में भारत सरकार पर लापरवाही का आरोप भी लगाया, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। अपने जीवन के अंतिम वर्षों में, मलिक से किश्तवाड़ जिले में कीरू जलविद्युत परियोजना के ठेकों के आवंटन में रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कई बार पूछताछ की।