
मुंबई। शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे की सोमवार को 13वीं पुण्यतिथि मुंबई में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई। इस अवसर पर देशभर से बड़ी संख्या में शिवसैनिक शक्ति-स्थल पर पहुंचे। कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण और राजनीतिक रूप से चर्चित क्षण वह रहा जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे पूरे 11 साल बाद एक साथ नजर आए। दोनों ठाकरे बंधुओं ने शक्ति-स्थल पर पहुंचकर बाला साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित की। उद्धव ठाकरे अपने परिवार—रश्मि ठाकरे और आदित्य ठाकरे के साथ कार्यक्रम में मौजूद थे, जबकि राज ठाकरे मनसे नेता बाला नांदगांवकर और नितीन सरदेसाई के साथ पहुंचे। ठाकरे बंधुओं की यह मुलाकात राज्य की राजनीति के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, खासकर तब जब महाराष्ट्र में स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के आगामी चुनावों की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं। इस मुलाकात के बाद मनसे और शिवसेना (उभठा) के संभावित गठबंधन की चर्चाएँ और तेज हो गई हैं। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में भी पुण्यतिथि के दिन एक उल्लेखनीय टिप्पणी प्रकाशित हुई, जिसमें कहा गया कि यदि ठाकरे बंधु फिर एकजुट होते हैं, तो यही बाला साहेब के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। शिवसैनिकों और मनसैनिकों के बीच भी लंबे समय से यह इच्छा जताई जाती रही है कि दोनों भाइयों में एकता हो। सोमवार को दोनों ठाकरे बंधुओं के एक साथ दिखाई देने से समर्थकों में संतोष और उत्साह का माहौल देखा गया। इसी कार्यक्रम में एक और भावनात्मक क्षण तब देखने को मिला जब कई दिनों से बीमार चल रहे और सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूर सांसद संजय राउत भी बाला साहेब ठाकरे को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। गंभीर बीमारी के बावजूद राउत मास्क पहनकर भीड़ के बीच शक्ति-स्थल पर आए और बाला साहेब को नमन किया। बीमारी की घोषणा के 17वें दिन वे पहली बार घर से बाहर निकले, जो बाला साहेब के प्रति उनकी भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है। पुण्यतिथि के इस आयोजन ने न केवल शिवसैनिकों और मनसैनिकों को एक मंच पर लाया, बल्कि राज्य की राजनीतिक दिशा पर भी नए संकेत छोड़ गया है।





