
बालिकाओं के सशक्तिकरण और पोषण जागरूकता पर विशेष जोर
मुंबई। बालिकाओं के सशक्तिकरण, मानसिक विकास और पोषण जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग और जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी कार्यालय के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को महाराष्ट्र राज्य महिला परिषद आशा सदन, उमरखड़ी में ‘अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस’ और ‘पोषण माह’ समापन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम वर्ष 2025 की अवधारणा-“मैं लड़की हूँ, मैं बदल रही हूँ: संकट की अग्रिम पंक्ति में लड़कियाँ” पर आधारित था। इस अवसर पर महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की उप सचिव डॉ. पद्मश्री बैनाडे और पोद्दार अस्पताल की सहायक प्राध्यापक डॉ. ऋतुजा गायकवाड़ ने उपस्थित बालिकाओं को पोषण, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता पर मार्गदर्शन प्रदान किया। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन आशा सदन संस्था बाल गृह, सहायता गृह और विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान जैसी योजनाओं का संचालन करती है। इन संस्थाओं में बाल कल्याण समिति के आदेशानुसार 0 से 7 वर्ष की आयु के बच्चों और 13 से 18 वर्ष की आयु की लड़कियों को प्रवेश दिया जाता है। यहाँ उन्हें भोजन, वस्त्र, आश्रय, चिकित्सा सुविधा, शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाता है। डॉ. बैनाडे ने बताया कि 0 से 7 वर्ष के अनाथ बच्चों को उपयुक्त परिवारों में गोद लिया जाता है, जबकि 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाली लड़कियों को आश्रय गृहों में रखा जाता है या नौकरी मिलने पर उन्हें समूह गृहों में स्थानांतरित किया जाता है।
कार्यक्रम में अनाथालयों के 70 बच्चे, दत्तक ग्रहण संस्थानों के 14 बच्चे और आश्रय गृहों की 28 लड़कियाँ उपस्थित थीं। कुल मिलाकर 35 लड़कियों ने कार्यक्रम की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लिया। इस मौके पर महिला एवं बाल विकास विभाग की विभिन्न योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाने और पोषण के महत्व पर विशेष चर्चा की गई। सितंबर माह में ‘पोषण अभियान’ के तहत किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के बीच पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अनेक गतिविधियाँ आयोजित की गईं। कार्यक्रम में लड़कियों के स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता से जुड़े कई मार्गदर्शन सत्र हुए। इस अवसर पर संस्था में नव-प्रवेशित बालिकाओं का नामकरण और कन्यापूजन भी किया गया, जिससे कार्यक्रम का समापन एक सांकेतिक और प्रेरणादायक संदेश के साथ हुआ।