
पुणे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नई दिल्ली के पूसा स्थित भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम हॉल से ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ का शुभारंभ किया। इस योजना का उद्देश्य किसानों को तकनीकी, वित्तीय और संस्थागत सहायता के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना है। राज्य स्तर पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम का आयोजन पुणे जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के सभागार में हुआ, जहाँ कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर किसानों को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए ठोस कदम उठा रही हैं। इस अवसर पर विधायक बापू पठारे, कृषि आयुक्त सूरज मांढरे, कृषि निदेशक विनय कुमार आवटे, रफीक नायकवाड़ी, सुनील बोरकर, अशोक किरणल्ली, संयुक्त निदेशक दत्तात्रेय गवासने सहित बड़ी संख्या में प्रगतिशील किसान, कृषि सखियाँ और अधिकारी मौजूद रहे। कृषि मंत्री भरणे ने कहा कि जून से सितंबर तक भारी बारिश के चलते किसानों को भारी नुकसान हुआ। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार सहित राज्य के शीर्ष नेतृत्व ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर किसानों की समस्याएँ जानीं। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने किसानों की सहायता के लिए 31,627 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की है, जिसमें शुष्क भूमि के लिए 18,500 रुपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित खेती के लिए 27,000 रुपये और विशेष फसलों के लिए 32,500 रुपये प्रति हेक्टेयर तक की सहायता दी जाएगी। इसके अलावा रबी सीजन के लिए 10,000 करोड़ रुपये अलग से रखे गए हैं। भरणे ने बताया कि राज्य में वर्तमान में 3,500 कृषि सखियाँ कार्यरत हैं, जो प्रशिक्षण प्राप्त कर महिला किसानों का मार्गदर्शन कर रही हैं। उन्होंने उनसे अपील की कि वे किसानों तक जैविक खेती, प्राकृतिक उर्वरक और आधुनिक सिंचाई तकनीक की जानकारी पहुँचाएँ, ताकि कृषि उत्पादन और आय में वृद्धि हो सके।
उन्होंने कहा कि दालों का उत्पादन बढ़ाना देश की प्राथमिकता है, क्योंकि वे प्रोटीन का मुख्य स्रोत हैं। चना, तुअर, मूंग, उड़द और मसूर के उत्पादन से भारत आत्मनिर्भर बनेगा। दालों की खेती प्राकृतिक खेती से जुड़ी है और यह मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने में सहायक है। कृषि आयुक्त सूरज मांढरे ने कहा कि किसानों ने उत्पादन तो दोगुना किया है, लेकिन बाज़ार मूल्य कम होने से आय में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई। उन्होंने ज़ोर दिया कि कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण और वैल्यू एडिशन ही किसानों की वास्तविक आय बढ़ाने की कुंजी है। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न सरकारी विभागों के बीच समन्वय से ही किसानों का समग्र कल्याण संभव है। कृषि निदेशक विनय कुमार आवटे ने बताया कि इस योजना के तहत महाराष्ट्र के 9 जिलों- पालघर, रायगढ़, धुले, छत्रपति संभाजीनगर, बीड, नांदेड़, यवतमाल, चंद्रपुर और गढ़चिरौली का चयन किया गया है। यहाँ पाँच वर्षीय कृषि विकास योजना लागू की जाएगी, जिसमें 36 से अधिक केंद्रीय और राज्य योजनाओं का अभिसरण कर फसल उत्पादकता, सिंचाई क्षमता और ऋण आपूर्ति तंत्र को सुदृढ़ बनाया जाएगा। इस अवसर पर जैविक खेती में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रगतिशील किसानों और महिला किसानों को सम्मानित किया गया। कृषि मंत्री ने मंच से ही महिला किसानों को सम्मानित करने का निर्णय लेकर कार्यक्रम को और भावनात्मक बना दिया। साथ ही प्राकृतिक खेती पर आधारित तीन पुस्तिकाओं का विमोचन किया गया और उपस्थित किसानों को नई तकनीकों को अपनाने का आह्वान किया गया। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 42,000 करोड़ रुपये की कृषि परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया, जिनमें ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’, ‘अनाज आत्मनिर्भरता मिशन’, ‘कृषि अवसंरचना कोष’, ‘पशुपालन, मत्स्य पालन एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग’ के अंतर्गत 1,100 से अधिक परियोजनाएँ शामिल हैं। इस आयोजन ने न केवल कृषि क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार किया, बल्कि यह स्पष्ट किया कि भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में असली आधारशिला उसके किसान ही हैं।