
मुंबई। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई को लक्षित करते हुए सोशल मीडिया पर एक आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट करने के मामले में एक वकील की शिकायत पर नवी मुंबई पुलिस ने मामला दर्ज किया है। यह एफआईआर न्यू पनवेल पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है। शिकायत के अनुसार, संबंधित वीडियो में मुख्य न्यायाधीश गवई को आपत्तिजनक तरीके से दर्शाया गया है। वीडियो में एक व्यक्ति को सीजेआई गवई के गले में गमछा डालकर, चेहरे पर नीला रंग लगाकर और उन्हें जूतों से मारते हुए दिखाया गया है।एफआईआर के मुताबिक, इस वीडियो का उद्देश्य यह संदेश देना था कि “कोई भी अनुसूचित जाति का व्यक्ति, चाहे वह कितने भी ऊंचे पद पर क्यों न पहुँच जाए, उसके साथ वही व्यवहार किया जाना चाहिए जैसा अतीत में अछूतों के साथ उनकी जाति के कारण किया जाता था। वकील ने आरोप लगाया कि सोशल मीडिया यूजर ‘किक्की सिंह’ ने कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर यह वीडियो बनवाया और ‘एक्स’ पर पोस्ट किया। शिकायतकर्ता के अनुसार, यह कृत्य न केवल मुख्य न्यायाधीश गवई की व्यक्तिगत गरिमा और पद की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने वाला है, बल्कि पूरे अनुसूचित जाति समुदाय के प्रति घृणा और जातीय वैमनस्य फैलाने का प्रयास भी है। एफआईआर में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि यह वीडियो न्यायपालिका की छवि को धूमिल करता है और जाति के आधार पर समाज में असंतोष फैलाने की साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है।
शिकायत में कहा गया है कि मुख्य न्यायाधीश गवई ने कभी भी हिंदू धर्म या सनातन धर्म का अपमान नहीं किया**, फिर भी वीडियो के माध्यम से भ्रामक रूप से यह संदेश फैलाने की कोशिश की गई कि वे धर्म विरोधी हैं। वकील ने कहा, “हालाँकि सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने उस वकील के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है जिसने विवादित बयान दिया था, लेकिन मुख्य न्यायाधीश गवई की माँ और बहन ने सार्वजनिक रूप से यह कहा कि यह संविधान और न्यायपालिका पर सीधा हमला है। इसी कारण मैंने इस वीडियो के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। न्यू पनवेल पुलिस ने शिकायत के आधार परभारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
इसके साथ ही पुलिस ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराएँ भी जोड़ी हैं, जिससे यह मामला और गंभीर हो गया है। पुलिस के अनुसार, इस वीडियो की तकनीकी जांच कराई जा रही है और आरोपियों की भूमिका की पुष्टि के लिए साइबर सेल को जांच सौंपी गई है। अधिकारी ने बताया कि मामले में संबंधित सोशल मीडिया अकाउंट्स को चिन्हित कर उनकी गतिविधियों की निगरानी की जा रही है। यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई, जो भारत के पहले दलित सीजेआई हैं, को लेकर सोशल मीडिया पर विवादित टिप्पणियाँ और पोस्ट्स का सिलसिला बढ़ा है। पुलिस ने कहा कि ऐसे किसी भी प्रयास को, जो जातीय वैमनस्य या न्यायपालिका के प्रति अवमानना फैलाने वाला हो, गंभीरता से लिया जाएगा।