
मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रेड सैंडर्स की अवैध तस्करी से जुड़े बड़े नेटवर्क पर कार्रवाई करते हुए 8.6 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। यह संपत्ति अंतरराष्ट्रीय गिरोह के सरगना अब्दुल जाफर और उसके सहयोगियों से जुड़ी बताई जा रही है। ईडी ने नागपुर पीएमएलए विशेष कोर्ट में अभियोजन शिकायत भी दर्ज की है। जाफर मई 2025 से न्यायिक हिरासत में है।
तमिलनाडु में आलीशान संपत्तियां और लग्जरी कारें जब्त
ईडी के अटैचमेंट आदेश में चेन्नई के महंगे आवासीय फ्लैट, कांचीपुरम और चेंगलपट्टु के भूखंड, विभिन्न जिलों की कृषि भूमि, व्यावसायिक परिसर और लग्जरी कारें शामिल हैं। जांच एजेंसी के अनुसार, इन संपत्तियों को तस्करी से अर्जित अवैध धन से खरीदा गया और इन्हें परिवार व सहयोगियों के नाम पर दर्ज कराया गया।
2016 से सक्रिय नेटवर्क, कई बार बरामदगी
अब्दुल जाफर का नेटवर्क पहली बार 2016 में चर्चा में आया, जब राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने नागपुर में 14.05 मीट्रिक टन रेड सैंडर्स जब्त किए थे। इसके बाद रायपुर और न्हावा शेवा बंदरगाह से भी बड़ी बरामदगी हुई। आरोप है कि सिर्फ 2016 में ही उसके गिरोह ने 159.11 मीट्रिक टन रेड सैंडर्स की तस्करी कर ली थी, जिसकी कीमत 63.64 करोड़ रुपये आंकी गई।
तस्करी का तरीका और सहयोगियों की मिलीभगत
डीआरआई और ईडी की जांच से सामने आया कि सिंडिकेट वैध कार्गो में कीमती लकड़ी छिपाकर निर्यात करता था। किराए के गोदामों में कंटेनर की सील तोड़कर माल बदला जाता था और कस्टम क्लीयरिंग एजेंट्स की मिलीभगत से कागजी हेरफेर की जाती थी। हर चरण में जाफर की मंजूरी अंतिम मानी जाती थी।
मनी लॉन्ड्रिंग का जाल
ईडी के अनुसार, जाफर ने कमाई को वैध दिखाने के लिए अपनी फर्म एम/एस ए.एफ.एंटरप्राइजेज का इस्तेमाल किया। पूछताछ में उसने पैसों का स्रोत ऋण, गहनों की बिक्री और रिश्तेदारों की मदद बताया, लेकिन जांच में ये दावे झूठे साबित हुए। कॉल डिटेल रिकॉर्ड और मोबाइल डेटा से भी जाफर और उसके सहयोगियों की तस्करी में संलिप्तता साबित हुई है। अधिकारियों का कहना है कि अब्दुल जाफर एक “पुनरावर्ती अपराधी” है और उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत आगे भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।