
मुंबई। देशभर में प्रसिद्ध लालबागचा राजा गणेशोत्सव मंडल एक बार फिर विवादों में है। इस बार मामला वीआईपी दर्शन की भेदभावपूर्ण व्यवस्था और आम श्रद्धालुओं के साथ हो रहे कथित दुर्व्यवहार का है। इस संदर्भ में मुंबई के दो निवासियों ने राज्य मानवाधिकार आयोग (एसएचआरसी) में शिकायत दर्ज कराते हुए मांग की है कि सभी श्रद्धालुओं को सम्मानजनक और सुरक्षित दर्शन का अधिकार मिले।
आम श्रद्धालु परेशान, वीआईपी को विशेष सुविधा
शिकायतकर्ताओं वकील आशीष राय और पंकज कुमार मिश्रा ने आरोप लगाया कि गणेशोत्सव के दौरान लाखों श्रद्धालु 24 से 48 घंटे लंबी कतारों में खड़े रहते हैं, लेकिन उन्हें मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं कराई जातीं। वहीं दूसरी ओर वीआईपी व्यक्तियों के लिए विशेष प्रवेश और निकास की व्यवस्था की जाती है। उनके मुताबिक, वीआईपी दर्शन के दौरान आम श्रद्धालुओं को जबरन हटाया या रोका जाता है। कई बार वीआईपी लोग मूर्ति के पास अधिक समय बिताते हैं, फोटोशूट करवाते हैं और सामान्य भक्तों को जल्दीबाज़ी में धकेल दिया जाता है, जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं।
दुर्व्यवहार और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
शिकायत में कहा गया कि मण्डल प्रबंधन की ओर से पर्याप्त सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण व्यवस्था नहीं है। बाउंसर और स्वयंसेवकों पर श्रद्धालुओं के साथ अभद्र भाषा के प्रयोग और मारपीट करने का आरोप लगाया गया है। बच्चों, महिलाओं, दिव्यांगों और बुजुर्ग श्रद्धालुओं को भी लंबे समय तक असुविधा झेलनी पड़ती है। कई मौकों पर धक्का-मुक्की और लापरवाही के कारण लोग घायल भी हुए हैं। शिकायतकर्ताओं ने आशंका जताई कि यदि समय रहते उचित प्रबंधन नहीं किया गया तो किसी भी समय भगदड़ जैसी त्रासदी हो सकती है।
प्रशासन की जवाबदेही पर जोर
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने इस मुद्दे की जानकारी मुंबई पुलिस आयुक्त को पहले भी दो बार दी थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उनका आरोप है कि राज्य प्रशासन, पुलिस और मण्डल प्रबंधन, सभी वीआईपी मेहमानों की सुविधा में जुटे रहते हैं, जबकि आम जनता की सुरक्षा और सुविधाओं की अनदेखी की जाती है।
आयोग से मांगी गई राहत
शिकायत में राज्य मानवाधिकार आयोग से अनुरोध किया गया है कि:
वीआईपी और आम श्रद्धालुओं के बीच भेदभावपूर्ण दर्शन व्यवस्था समाप्त करने के निर्देश दिए जाएं।
सभी श्रद्धालुओं को समान सुरक्षा और सुविधाएं प्रदान की जाएं।
बच्चों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष इंतज़ाम किए जाएं।
मण्डल प्रबंधक और कर्मचारियों द्वारा श्रद्धालुओं के साथ दुर्व्यवहार पर निगरानी और शिकायत दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
वकील आशीष राय ने कहा-हम पिछले दो वर्षों से इस मुद्दे को उठा रहे हैं। लालबागचा राजा मण्डल में आम श्रद्धालुओं के साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार को हमने कई बार उजागर किया है। भीड़ के दौरान लोगों के सामान चोरी होते हैं, धक्का-मुक्की होती है, लेकिन वीआईपी को विशेष सुविधा दी जाती है। पुलिस प्रशासन को बार-बार पत्र लिखने के बावजूद कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया। इसी कारण हमें राज्य मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करानी पड़ी। हालांकि, इस मामले में लालबागचा राजा गणेशोत्सव मण्डल ने अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। मण्डल के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और भीड़ प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है। वीआईपी दर्शन को लेकर उनका कहना था कि हम व्यवस्था सुधारने के लिए पुलिस के साथ समन्वय में काम कर रहे हैं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि गणेशोत्सव के दौरान सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष योजना बनाई जाती है। हालांकि, उन्होंने इस शिकायत पर आधिकारिक प्रतिक्रिया देने से इंकार किया और कहा कि मामला फिलहाल आयोग के संज्ञान में है। यह विवाद एक बार फिर धार्मिक आयोजनों में वीआईपी संस्कृति और आम श्रद्धालुओं की उपेक्षा को उजागर करता है। राज्य मानवाधिकार आयोग इस शिकायत पर क्या कदम उठाएगा, यह आने वाले दिनों में तय होगा, लेकिन गणेशोत्सव से पहले ही यह मुद्दा प्रशासन और मण्डल प्रबंधन के लिए चुनौती बन गया है।