
मुंबई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया, जिसके प्रावधानों के अनुसार प्रधानमंत्री, मंत्री और मुख्यमंत्री की गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी होने पर उन्हें पद से हटाना अनिवार्य होगा। बिल के मुताबिक, यदि गिरफ्तारी के बाद 30 दिनों के भीतर संबंधित व्यक्ति इस्तीफा नहीं देते, तो 30 दिनों के बाद स्वतः उनका इस्तीफा माना जाएगा। सरकार ने इस विधेयक को संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया है, जो अगले सत्र में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। विपक्षी दलों ने इस कदम का जोरदार विरोध किया और इसे सत्ता के दुरुपयोग का औजार बताया। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने इस बिल पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोदी-शाह सरकार ने ऐसा कानून मुख्यमंत्री और मंत्रियों को डराने-धमकाने के लिए लाया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि इस विधेयक से सबसे ज्यादा नायडू और नीतीश कुमार भयभीत हैं और सरकार को डर है कि वे एनडीए से समर्थन वापस ले सकते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, राउत ने आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर भी बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि एनडीए नेताओं को अपने ही बहुमत पर भरोसा नहीं है, इसलिए वे विपक्षी दलों से समर्थन मांग रहे हैं। गौरतलब है कि एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है, जिनका मुकाबला इंडिया गठबंधन के बी. सुदर्शन रेड्डी से होगा। राउत ने राधाकृष्णन पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जब वे झारखंड के राज्यपाल थे, तब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राजभवन के भीतर से गिरफ्तार किया था। उस समय राधाकृष्णन ने संवैधानिक मर्यादाओं की रक्षा नहीं की और ईडी को नहीं रोका। राउत ने सवाल उठाया कि ऐसे व्यक्ति को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाना संविधान और लोकतांत्रिक परंपराओं के लिए कितना उचित है। कुल मिलाकर, 130वें संविधान संशोधन विधेयक ने संसद से लेकर विपक्ष तक गहरी हलचल मचा दी है। अब सबकी निगाहें संयुक्त समिति की रिपोर्ट और उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर टिकी हैं।