
पटना। नेपाल में हुई भारी बारिश के कारण बिहार की नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ने से राज्य एक बार फिर भीषण बाढ़ की चपेट में है। भागलपुर से बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा तक कई जिले जलमग्न हो चुके हैं और निचले इलाकों के लोग घर छोड़ ऊँचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं। अब तक बाढ़ से 26 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें बेगूसराय में सर्वाधिक 8, भागलपुर, सिवान, भोजपुर और खगड़िया में 2-2, जबकि मुंगेर, वैशाली और कटिहार में 1-1 व्यक्ति की जान गई है। मृतकों में सुपौल से आए एक कांवड़िया, पीरपैंती की 12 वर्षीय बच्ची, बेगूसराय में मां-बेटी सहित कई लोग शामिल हैं। बेगूसराय के बछवारा में नाव नहीं मिलने पर पैदल घर लौट रहे अशोक यादव (45) गहरे पानी में डूब गए, जबकि साहेबपुर कमाल के सलेमाबाद में 2 वर्षीय अंजली कुमारी की मौत आंगन से बाहर निकलते ही बाढ़ के पानी में डूबने से हो गई। मटिहानी में 83 वर्षीय बुजुर्ग जगदीश सिंह की मौत नदी में गिरने से हुई। पूर्वी चंपारण के चकिया में नहाने के दौरान गौतम कुमार (21) और भागलपुर के बिजवियां वार्ड 9 निवासी किसान धीरज कुमार सिंह (32) की भी डूबकर जान चली गई। गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 80 सेंटीमीटर ऊपर बहने से अब शहरी क्षेत्रों में भी पानी घुस गया है, जिससे भागलपुर का तिलका मांझी विश्वविद्यालय परिसर जलमग्न है और प्रशासनिक भवन तथा सीनेट हॉल में कमर तक पानी भर गया है। विश्वविद्यालय के कर्मचारी और छात्र नाव के सहारे परिसर तक पहुँच रहे हैं; प्रशासन ने चार छोटी नावों की व्यवस्था की है, लेकिन जहरीले जीव-जंतुओं के खतरे से भय बना हुआ है। हर साल आने वाली इस बाढ़ से निपटने के लिए विश्वविद्यालय ने 15.48 करोड़ रुपये की लागत से परिसर के पीछे ऊँची दीवार बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था, किंतु अब तक काम शुरू नहीं हुआ है। आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, 230 पंचायतों में 12,58,000 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं और राहत के लिए 1000 से अधिक नावें चलाई जा रही हैं। NDRF की 14 टीमें अलर्ट पर हैं, जिनमें दरभंगा, सुपौल, मोतिहारी, नालंदा (एकंगरसराय और हिलसा) समेत कई जिलों में टीमें तैनात हैं। हजारों एकड़ फसलें जलमग्न हैं और घरों में पानी भरने से जनजीवन अस्त-व्यस्त है, जबकि प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा है।