
मुंबई। महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने वर्ष 2025 में भ्रष्ट लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए अब तक आय से अधिक संपत्ति (डीपीए) के चार मामले दर्ज किए हैं। इन मामलों में उजागर की गई कुल अवैध संपत्ति की राशि 4.17 करोड़ रुपये है। ब्यूरो के आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि इन मामलों में दो प्रथम श्रेणी, एक द्वितीय श्रेणी और एक तृतीय श्रेणी के अधिकारी संलिप्त पाए गए हैं। विशेष बात यह है कि इन चार मामलों में से तीन सीधे तौर पर पुलिस विभाग के अधिकारियों से जुड़े हैं, जिनकी कुल अवैध संपत्ति 3.82 करोड़ रुपये आंकी गई है। शेष एक मामला एक नगर निगम अधिकारी से संबंधित है, जिसकी आय से अधिक संपत्ति 35.16 लाख रुपये है। इसके अलावा, एसीबी ने जनवरी से 29 जुलाई तक 418 जाल (ट्रैप) मामले दर्ज किए हैं, जिनमें सबसे अधिक संख्या वर्ग III के सरकारी अधिकारियों की है— कुल 292 अधिकारी। इनके बाद वर्ग II के 75, वर्ग I के 48 और वर्ग IV के 22 अधिकारी इस साल भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे हैं। इन मामलों में कुल रिश्वत की राशि 1.50 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। ब्यूरो ने राज्य सरकार को 16.88 करोड़ रुपये की संपत्ति को फ्रीज करने की अनुमति मांगी है, जो 9 विभिन्न मामलों में संलिप्त आरोपियों से संबंधित है। इन संपत्तियों में सबसे अधिक राशि शहरी विकास विभाग (3.13 करोड़ रुपये), जल संसाधन विभाग (2.82 करोड़ रुपये) और लोक निर्माण विभाग (2.48 करोड़ रुपये) के अधिकारियों की है। क्षेत्रवार आंकड़ों के अनुसार, मुंबई ज़ोन में सबसे ज्यादा (4) मामलों में संपत्ति ज़ब्ती की सिफारिश की गई है, जबकि पुणे ज़ोन में दो और नासिक, छत्रपति संभाजी नगर व नांदेड़ ज़ोन में एक-एक मामला दर्ज किया गया है। एसीबी के इस व्यापक अभियान से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि राज्य में भ्रष्टाचार के विरुद्ध निगरानी और कार्रवाई की प्रक्रिया तेज़ की गई है, जिसमें खासकर पुलिस और शहरी प्रशासन से जुड़े अधिकारियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।