
मुंबई। सांताक्रूज़ (पूर्व) स्थित वी.एन. देसाई अस्पताल की हाल ही में नवीनीकृत तीसरी मंज़िल पर 25 जुलाई को हुई मूसलाधार बारिश के दौरान वर्षा जल का रिसाव सामने आया, जिससे अस्पताल की संरचनात्मक गुणवत्ता और रखरखाव मानकों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। यह समस्या ऐसे समय सामने आई जब हाल ही में कई विभागों और वार्डों को नवीनीकरण के चलते दूसरी मंज़िल से तीसरी मंज़िल पर स्थानांतरित किया गया था।
रिसाव और अव्यवस्था से बढ़ी चिंताएं
अस्पताल के कर्मचारियों ने पुष्टि की है कि तीसरी मंज़िल पर बुनियादी सुरक्षा बुनियादी ढांचे का अभाव है। हालाँकि नवीनीकरण का उद्देश्य भवन की दशा सुधारना था, लेकिन बारिश के पानी के रिसाव और लिफ़्ट के पास पुराने फर्नीचर व कचरे के ढेर ने काम की गुणवत्ता और दीर्घकालिक टिकाऊपन को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। मरीज़ों के सक्रिय आवाजाही वाले क्षेत्रों में टूटी-फूटी वस्तुओं की मौजूदगी संक्रमण और दुर्घटना का खतरा पैदा करती है, विशेषकर प्रसूति और आपातकालीन वार्ड जैसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में।
गरीब तबके की स्वास्थ्य सेवा के लिए अहम केंद्र
वकोला, कलिना, कुर्ला, खार पूर्व और बांद्रा पूर्व जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में बसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए वी. एन. देसाई अस्पताल एक प्रमुख सरकारी स्वास्थ्य सेवा केंद्र है। अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 2,500 से 3,000 मरीज़ों की ओपीडी, और 254 बिस्तरों की सुविधा है। इसके बावजूद, रिसाव, निष्क्रिय विभागों और दवा की अनुपलब्धता जैसी समस्याएँ यहाँ स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित कर रही हैं।
व्यापक संकट की ओर इशारा
यह रिसाव कोई एकमात्र समस्या नहीं है। अस्पताल के रेडियोलॉजी और ब्लड बैंक विभाग भी लंबे समय से निष्क्रिय हैं। रिपोर्टों के अनुसार कई आवश्यक दवाएँ स्टॉक से बाहर हैं और रात की पाली में विशेषज्ञ डॉक्टर और फार्मासिस्ट की अनुपलब्धता मरीज़ों को संकट में डाल रही है। अस्पताल में नवीनीकरण के नाम पर केवल सतही सुधार किए गए हैं, जबकि गंभीर बुनियादी जरूरतें अब भी उपेक्षित हैं। इस गंभीर स्थिति पर जब पत्रकारों ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जयराज आचार्य से संपर्क करने की कोशिश की, तो कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। यह चुप्पी भी अस्पताल प्रशासन की जवाबदेही को लेकर संदेह पैदा करती है।