
खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के निलंबन पर संघटन सख्त ४ अगस्त से कामबंदी की चेतावनी
मुंबई। महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) मंत्री नरहरि जिरवाल ने मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में तीन खाद्य विभाग अधिकारियों के निलंबन की घोषणा की थी। जिसके बाद एफडीए के नाशिक डिवीजन के सह-आयुक्त (अन्न), नंदुरबार के सहायक आयुक्त (अन्न) और एक खाद्य सुरक्षा अधिकारी को निलंबित कर दिया गया। इस कार्रवाई का विरोध करते हुए महाराष्ट्र राज्य अन्न अधिकारी कल्याणकारी संघटन के अध्यक्ष एवं एफडीए मंत्री कार्यालय के ओएसडी डॉ.राम मुंडे ने सरकार को कामबंदी आंदोलन की चेतावनी दी है। २३ जुलाई को मंत्री नरहरि जिरवाल को भेजे गए पत्र में डॉ. मुंडे और संघटन के सचिव गोपाल माहोरे ने कहा कि संबंधित अधिकारियों की इस प्रकरण में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं थी, फिर भी उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि इस मामले में खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धारा ५१ के तहत केवल ५ लाख रुपए तक के आर्थिक दंड का प्रावधान है, जिसे न्यायनिर्णायक अधिकारी द्वारा पहले ही लागू किया जा चुका है। ऐसे में अधिकारियों पर निलंबन की कार्रवाई अनुचित बताई गई है। संघटन ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि यह निलंबन वापस नहीं लिया गया, तो ४ अगस्त २०२५ को लेखनी बंद आंदोलन किया जाएगा। गौरतलब है कि डॉ.राम मुंडे स्वयं एफडीए मंत्री नरहरि जिरवाल के कार्यालय में ओएसडी के रूप में तैनात हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि मंत्री के अपने कार्यालय में बैठे व्यक्ति द्वारा ही सरकार को चेतावनी देना कितना उचित है? यदि निलंबन गलत था, तो मंत्री को सही जानकारी किसने नहीं दी? और यदि जानकारी थी, तो निलंबन की घोषणा विधानसभा में क्यों की गई? यह विवाद न केवल एफडीए विभाग के भीतर सवाल खड़े कर रहा है, बल्कि सरकार और मंत्री कार्यालय की कार्यप्रणाली पर भी उंगली उठा रहा है।
