
मुंबई। मुंबई में भ्रष्टाचार के दो अलग-अलग मामलों में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST) विभाग के एक अधीक्षक और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक महिला अधिकारी के खिलाफ रिश्वत मांगने के आरोप में जांच शुरू की है। दोनों मामलों में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के अंतर्गत अपराध दर्ज किए गए हैं। पहले मामले में, पुणे निवासी एक व्यक्ति ने सीबीआई को लिखित शिकायत सौंपी, जिसमें आरोप लगाया गया कि पिंपल सौदागर शाखा, पुणे की एक महिला बैंक अधिकारी ने 5 लाख रुपये के टॉप-अप पर्सनल लोन की मंजूरी के एवज में 30,000 रुपये की रिश्वत की मांग की थी। शिकायतकर्ता ने पहले उक्त बैंक अधिकारी से 25 लाख रुपये का पर्सनल लोन लिया था और हाल ही में 10 लाख रुपये का टॉप-अप लोन प्राप्त करने हेतु संपर्क किया था। शिकायत की प्राथमिक जांच में आरोपों की पुष्टि होने पर सीबीआई ने महिला बैंक अधिकारी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर लिया है। दूसरे मामले में, संगमनेर (अहमदनगर) स्थित एक आईटी सॉल्यूशंस कंपनी के मालिक की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने CGST के संगमनेर रेंज के अधीक्षक डी. वाडवे के खिलाफ मामला दर्ज किया है। शिकायत में आरोप था कि वाडवे ने जीएसटी नंबर आवंटन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 1,000 रुपये की रिश्वत की मांग की। सीबीआई द्वारा किए गए सत्यापन में यह आरोप सही पाया गया। इन दोनों मामलों से स्पष्ट होता है कि सरकारी और बैंकिंग क्षेत्र में निचले स्तर पर भी भ्रष्टाचार की जड़ें अब भी मजबूती से बनी हुई हैं। सीबीआई की तत्परता से यह संदेश जाता है कि भ्रष्ट आचरण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह किसी भी स्तर के अधिकारी द्वारा क्यों न हो। जांच फिलहाल जारी है और दोषियों पर जल्द ही कानूनी शिकंजा कसने की संभावना है।