
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ी डिजिटल पहल की ओर कदम बढ़ाते हुए प्रशासनिक व्यवस्था को पूर्णतः ऑनलाइन करने की योजना की घोषणा की है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य ने डिजिटल नियमन और ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई है और अब समय आ गया है कि डिजिटल शासन सिर्फ विकल्प नहीं, बल्कि एक अनिवार्यता बन जाए। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा, ‘नो ऑफिस डे’ का मतलब है कि नागरिकों को अब किसी भी सरकारी दफ्तर में आने की आवश्यकता नहीं होगी। सभी सेवाएं डिजिटल माध्यमों से एक ही स्थान पर उपलब्ध होंगी, जिससे ऑफलाइन प्रक्रियाओं की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। इसके अंतर्गत सभी सरकारी योजनाएं और सेवाएं एकीकृत ऑनलाइन मंच के माध्यम से नागरिकों तक पहुंचेंगी।
इसी दिशा में ‘समग्र’ संस्था के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) मुख्यमंत्री फडणवीस की उपस्थिति में संपन्न हुआ। इस अवसर पर सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री एडवोकेट आशीष शेलार, सांस्कृतिक कार्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खड़गे, गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव इकबाल सिंह चहल, ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव एकनाथ दावले, और सूचना प्रौद्योगिकी निदेशालय के प्रबंध निदेशक कान्हूराज बगाटे सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। समझौते के तहत, राज्य सरकार की सभी सेवाएं व्हाट्सएप जैसे सरल प्लेटफॉर्म्स पर नागरिकों को उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे तकनीक का उपयोग करना आम लोगों के लिए सहज हो सके। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि इस प्रक्रिया को लक्ष्य-आधारित समयबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा, और प्रत्येक विभाग को सेवा वितरण की निश्चित समयसीमा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि सभी विभाग आपसी समन्वय से काम करें, तो यह डिजिटल रूपांतरण सरकारी सेवाओं की पारदर्शिता, दक्षता और नागरिकों के विश्वास को बढ़ाएगा। मुख्यमंत्री ने इस डिजिटल परिवर्तन को ‘आमूलचूल सुधार’ करार देते हुए कहा कि इस पहल से प्रशासनिक प्रणाली आधुनिक, त्वरित और नागरिक केंद्रित बनेगी। मुख्यमंत्री ने अंत में उम्मीद जताई कि सूचना प्रौद्योगिकी विभाग और ‘समग्र’ संस्था के सहयोग से महाराष्ट्र डिजिटल शासन के क्षेत्र में एक राष्ट्रीय उदाहरण बनेगा।