Sunday, July 20, 2025
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नकली दवाओं के खिलाफ कार्रवाई तेज़, महाराष्ट्र में उच्च स्तरीय समिति गठित – 11 कंपनियों के लाइसेंस रद्द, कई गिरफ्तार


मुंबई। महाराष्ट्र में दवा विक्रेताओं और फार्मा कंपनियों द्वारा दवाओं की पैकेजिंग पर दिए गए अवयवों की सत्यता को लेकर गंभीर कदम उठाया गया है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री नरहरि जिरवाल ने विधान परिषद को सूचित किया कि राज्य सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है, जो दवाओं में मौजूद अवयवों का निरीक्षण करेगी। यह समिति खाद्य एवं औषधि प्रशासन के सचिव की अध्यक्षता में कार्य करेगी और दोषी पाए जाने वालों पर आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह मुद्दा तब उठा जब विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने इस पर प्रश्न किया। उनके साथ सदस्य अरुण लाड और सदाशिव खोत ने भी इस गंभीर विषय पर चिंता जताई। जवाब में मंत्री जिरवाल ने बताया कि नवंबर 2022 से अक्टूबर 2024 के बीच राज्य के सरकारी और अर्ध-सरकारी अस्पतालों से कुल 979 दवाओं के नमूने लिए गए। परीक्षण में 11 नमूने ऐसे पाए गए जिनमें दवा की मूल सामग्री मौजूद नहीं थी। इन दवाओं की आपूर्ति करने वाली 11 फार्मा कंपनियों की पहचान की गई है, जिनके विक्रय लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं। मंत्री के अनुसार, इन कंपनियों के खिलाफ आपराधिक जांच की गई है, और अब तक सात आरोपियों के नाम सामने आए हैं। इनमें से दो ने अदालत से अग्रिम ज़मानत ली है, जबकि चार आरोपी हिरासत में हैं और शेष की तलाश जारी है। जाँच में यह भी सामने आया कि नकली दवाओं का यह नेटवर्क अम्बेजोगाई से निकलकर ठाणे, भिवंडी, लातूर और नांदेड़ जैसे जिलों तक फैला हुआ था। मंत्री ने जानकारी दी कि इस रैकेट में शामिल कंपनियों में कोल्हापुर की ‘विशाल एंटरप्राइजेज’, लातूर की ‘मे जया एंटरप्राइजेज’ और भिवंडी की ‘बायोटेक’ शामिल हैं, जिनके लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं।
विधान परिषद सदस्य अरुण लाड ने इस दौरान यह भी मुद्दा उठाया कि दवाओं की असली कीमत और फार्मा कंपनियों द्वारा वितरकों को दिए जाने वाले भारी कमीशन के बीच बड़ा अंतर है, जो उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ाता है। इस पर मंत्री जिरवाल ने स्पष्ट किया कि मूल्य निर्धारण और कमीशन से संबंधित मुद्दों पर कार्रवाई केंद्र सरकार के संबंधित कानूनों के अनुसार की जाएगी। मंत्री ने आश्वासन दिया कि भविष्य में यदि ऐसे नकली दवाओं के मामले सामने आते हैं, तो सरकार तत्काल कठोर कार्रवाई करेगी। इस पूरी कार्यवाही से स्पष्ट है कि राज्य सरकार नकली दवाओं के खतरे को गंभीरता से लेते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठा रही है।

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