
मुंबई। न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए लखनऊ से पवन जायसवाल नामक आरोपी को गिरफ्तार किया है। ईओडब्ल्यू अधिकारियों के अनुसार, जायसवाल को हिरासत में लेने के बाद ट्रांजिट रिमांड के लिए स्थानीय अदालत में पेश किया जाएगा, जिसके बाद उसे आगे की पूछताछ के लिए मुंबई लाया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि इस मामले में पहले गिरफ्तार किए गए आरोपी राजीव रंजन पांडे ने घोटाले से कथित तौर पर 15 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे, जिसमें से 4.5 करोड़ रुपये पवन जायसवाल को दिए गए। मूल रूप से झारखंड का निवासी जायसवाल लखनऊ में बिल्डिंग मटेरियल सप्लाई के व्यवसाय से जुड़ा है। ईओडब्ल्यू ने अब तक इस मामले में 12,600 पन्नों की एक विस्तृत चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें बैंक के पूर्व चेयरमैन हितेन भानु और उनकी पत्नी गौरी भानु को मुख्य आरोपी बताया गया है। दोनों फरार हैं और उन्हें भगोड़ा घोषित किया जा चुका है। एजेंसी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS) की धारा 335 लागू की है, जो आरोपियों की अनुपस्थिति में साक्ष्य दर्ज करने की अनुमति देती है। अब तक इस घोटाले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें बैंक अधिकारी, एक डेवलपर और कुछ निजी व्यक्ति शामिल हैं, जबकि छह अन्य आरोपी अभी भी फरार हैं। गिरफ्तार लोगों में तीन चार्टर्ड अकाउंटेंट और आंतरिक ऑडिटर भी शामिल हैं—अभिजीत देशमुख (संजय राणे एंड एसोसिएट्स), लक्ष्मीनारायण वेंकटेश नायक (शिंदे नायक एंड एसोसिएट्स) और सुभाष मोगल (एसआई मोगल एंड कंपनी)। इन पर आरोप है कि बैंक खातों के ऑडिट के दौरान भारी वित्तीय अनियमितताओं के बावजूद कोई चेतावनी नहीं दी गई, जिससे धोखाधड़ी को बढ़ावा मिला। अब तक 45 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं और लगभग 167 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है, जिसे घोटाले की आय माना जा रहा है। जांच में यह भी सामने आया है कि प्रभादेवी और गोरेगांव स्थित बैंक की तिजोरियों से धन का गबन किया गया था। इस घोटाले ने सहकारी बैंकिंग प्रणाली की विश्वसनीयता को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। ईओडब्ल्यू द्वारा की जा रही व्यापक जांच अभी जारी है और अधिकारियों का मानना है कि इस मामले में आगे भी कई गिरफ्तारियां हो सकती हैं।