
मुंबई। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और शिवसेना शिंदे गुट के प्रमुख एकनाथ शिंदे की ओर से मंच से ‘जय गुजरात’ का नारा लगाने को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया है। शिंदे ने यह नारा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में जयराज स्पोर्ट्स एंड कन्वेंशन सेंटर के उद्घाटन कार्यक्रम में दिया। उन्होंने मंच से गुजराती समाज की तारीफ करते हुए उन्हें “लक्ष्मी के पुत्र” कहा और अमित शाह को नरेंद्र मोदी की छाया करार दिया।
शिंदे की अमित शाह पर स्तुति
शिंदे ने कहा, अमित शाह राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हैं, अनुच्छेद 370 हटाने जैसे निर्णय उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और रणनीतिक कौशल का प्रमाण हैं।” उन्होंने मंच से “जय हिंद, जय महाराष्ट्र, जय गुजरात” कहकर भाषण का समापन किया।
शिवसेना (यूबीटी) की प्रतिक्रिया:
इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (यूबीटी) की नेता किशोरी पेडनेकर ने पूछा, “क्या अब हमें हिंदी के साथ गुजराती भी सीखनी होगी? क्या बालासाहेब ठाकरे ने कभी ‘जय गुजरात’ कहा था?” उन्होंने इसे मराठी अस्मिता के खिलाफ बताया और शिंदे पर गुजरात की भक्ति का आरोप लगाया।
फडणवीस ने दी सफाई, विपक्ष पर पलटवार:
मामले पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे का बचाव करते हुए विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “विपक्ष जनता से कट चुका है, इसलिए ऐसे मुद्दों को हवा दे रहा है जिनका कोई जमीन पर महत्व नहीं है। फडणवीस ने शरद पवार का एक पुराना उदाहरण देते हुए कहा, “जब पवार ने कर्नाटक में शिवाजी महाराज की प्रतिमा के उद्घाटन पर ‘जय महाराष्ट्र, जय कर्नाटक’ कहा था, तब किसी ने सवाल नहीं उठाया। तो क्या वह कर्नाटक से ज्यादा प्रेम कर बैठे थे?
‘मराठी अस्मिता’ या ‘राष्ट्रीय एकता’?
फडणवीस ने जोर देकर कहा कि “हम पहले भारतीय हैं। कोई भी नेता जब किसी राज्य में जाता है, वहां की संस्कृति और भाषा का सम्मान करता है, यह क्षेत्रीय वफादारी की परीक्षा नहीं, बल्कि भारतीयता का सम्मान है।एकनाथ शिंदे की ‘जय गुजरात’ टिप्पणी ने राजनीतिक हलकों में गर्मी ला दी है। जहां विपक्ष इसे मराठी अस्मिता पर हमला बता रहा है, वहीं सरकार इसे भारतीय एकता और विविधता के सम्मान के रूप में देख रही है। यह बहस महज एक नारे से शुरू हुई, लेकिन इसके निहितार्थ 2024-25 की महाराष्ट्र राजनीति में बड़े विमर्श की भूमिका निभा सकते हैं।