
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा में गुरवार को प्रश्नकाल के दौरान निजी सुरक्षा गार्डों को उनके अधिकारों और लाभों से वंचित किए जाने के मुद्दे पर गंभीर चर्चा हुई। इस पर जवाब देते हुए श्रम मंत्री एडवोकेट आकाश फुंडकर ने घोषणा की कि महाराष्ट्र निजी सुरक्षा गार्ड (रोजगार और कल्याण का विनियमन) अधिनियम, 1981 और अन्य श्रम कानूनों के अंतर्गत पंजीकृत प्रतिष्ठानों द्वारा सुरक्षा गार्डों को दिए जाने वाले लाभों की जिलेवार जांच की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी संबंधित प्रतिष्ठानों के लिए पंजीकरण और कर्मचारियों को कानूनी लाभ देना अनिवार्य है। यह मुद्दा विधायक जितेंद्र आव्हाड द्वारा उठाया गया था, जिसमें उन्होंने उन प्रतिष्ठानों की ओर ध्यान दिलाया जो सुरक्षा बोर्ड के साथ पंजीकृत नहीं हैं और जहां सुरक्षा गार्डों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। चर्चा में विधायक किशोर जोरगेवार, महेश शिंदे, प्रशांत बांब और सुलभा गायकवाड़ ने भी भाग लिया और चिंता जताई कि गृह निर्माण समितियाँ जैसे कई निजी संस्थान बोर्ड के साथ पंजीकृत नहीं हैं, जिससे वहां काम कर रहे सुरक्षा गार्डों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा। श्रम मंत्री फुंडकर ने कहा कि श्रम विभाग की नई संरचना को सरकार ने मंजूरी दे दी है और विभाग में जल्द ही भर्ती की जाएगी, जिससे निरीक्षण और क्रियान्वयन की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे सभी संगठनों, विशेषकर गैर-पंजीकृत हाउसिंग सोसायटीज़ में कार्यरत सुरक्षा गार्डों की स्थिति की तुरंत जांच की जाएगी ताकि उन्हें उनके वैधानिक अधिकार मिल सकें। इस घोषणा से स्पष्ट संकेत मिला है कि राज्य सरकार अब निजी सुरक्षा गार्डों के कल्याण को लेकर गंभीर है और इस दिशा में ठोस कदम उठाने जा रही है। विपक्ष ने भी इस निर्णय का स्वागत करते हुए निगरानी तंत्र को सशक्त और पारदर्शी बनाने की मांग की है।