
मुंबई। राज्य सरकार बार्टी, सारथी, महाज्योति और आरती जैसी प्रमुख शैक्षणिक संस्थाओं में विद्यार्थियों के प्रवेश, छात्रवृत्ति वितरण और अन्य शैक्षणिक योजनाओं के लिए एक समान नीति लागू करने की दिशा में कदम उठा रही है। यह जानकारी उपमुख्यमंत्री और वित्त एवं योजना मंत्री अजीत पवार ने विधान परिषद में दी। उन्होंने बताया कि इन संस्थाओं में योग्यता के आधार पर पाठ्यक्रमों में प्रवेश दिया जाएगा और विद्यार्थियों की संख्या, छात्रवृत्ति तथा विदेशी छात्रवृत्ति सहित समग्र प्रक्रिया के लिए मान नीतिगत ढांचा तैयार किया जा रहा है। छत्रपति शाहू महाराज शोध प्रशिक्षण एवं मानव विकास संस्था (सारथी) द्वारा वितरित गृह किराया भत्ता और आकस्मिक निधि के संदर्भ में विधान परिषद सदस्यों संजय खोडके और अभिजीत वंजारी के तारांकित प्रश्न के उत्तर में बोलते हुए अजीत पवार ने बताया कि वर्ष 2018 से 2025 के बीच सारथी संस्था द्वारा 83 विभिन्न पाठ्यक्रमों में लगभग तीन लाख विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियां दी गईं। इनमें केवल 3,000 विद्यार्थी यानी कुल संख्या का महज एक प्रतिशत ही पीएचडी पाठ्यक्रमों में प्रवेशित थे, जबकि उनके लिए 280 करोड़ रुपये की निधि खर्च की गई, जिससे प्रति विद्यार्थी औसतन 30 लाख रुपये का खर्च आया। उपमुख्यमंत्री ने इस स्थिति को “गंभीर” बताते हुए स्पष्ट किया कि भविष्य में विद्यार्थियों को उन्हीं पाठ्यक्रमों में प्रवेश दिया जाएगा, जिनसे प्रत्यक्ष रूप से रोजगार की संभावना हो। उन्होंने बताया कि गुणवत्ता सुधार, संस्थागत पारदर्शिता और छात्रवृत्ति की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गई थी, जिसकी रिपोर्ट सरकार को प्राप्त हो चुकी है और इस पर शीघ्र निर्णय लिया जाएगा। सरकार का यह कदम शैक्षणिक संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग, रोजगारोन्मुखी शिक्षा और संस्थागत जवाबदेही की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।