
इजराइल ने ईरान पर अपने ड्रोन के जरिए भयानक नुकसान पहुंचाया था ईरान के साथ युद्ध में, लेकिन इजरायल के ईरान में छूटे ड्रोन इजरायल के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं अगले युद्ध में। इजरायली मध्यम दूरी के मारक हरमेश ड्रोन, जो इंटेलिजेंसी, सर्विलांस के काम आते हैं, उसके अलावा एफपीवी मिनी क्वाडकॉप्टर ड्रोन विस्फोटकों से लदे ईरान पर छोड़े थे, ईरान में ही छूट गए हैं। जिनको रिवर्स इंजीनियरिंग के द्वारा कैसे बनाए गए थे, किन-किन वस्तुओं का उपयोग किया गया था, उसकी डिजाइन और स्ट्रक्चर का पता लगा सकता है ईरान। ड्रोन के कंपोनेंट को स्कैन कर इलेक्ट्रॉनिक डेटा इकट्ठा कर, रडार सेंसर कैसे सूचना लेते हैं, उसकी पूरी जानकारी ईरान प्राप्त कर लेता है, जिस पर साइंस, टेक रिसर्च, प्रोसेसर, मोटर्स, कम्युनिकेशन चिप्स, कैमरा तथा एयरफ्रेम मैटेरियल आदि का लंबा अध्ययन कर, सारी टेक्नोलॉजी जान सकेगा ईरान। ड्रोन की डिजिटल कॉपी बनाकर सिम्युलेशन से ताकत परख सकता है। यह भी पता लगा सकता है ईरान कि ताकत कैसे कई गुना बढ़ जाती है। इंजन, पंखे, कंट्रोल सॉफ्टवेयर का प्रोडक्शन कर, बेहतरीन ड्रोन बनाने में सफल होता है। अगर ईरान इसमें सफल हो जाता है तो वह इजरायली ड्रोन से कहीं अधिक पॉवरफुल ड्रोन विकसित कर सकेगा। एफपीवी और एफपी विंग ड्रोन स्टेल्थ और पहुंच से हवा में घुस सकते हैं, जिसे इजरायली डिफेंस सिस्टम को भ्रमित किया जा सकेगा। लकड़ी-मेटल मिश्रित एयर फ्रेम से इजराइल के रडार को बेअसर किया जा सकेगा। हरमेश जैसे ड्रोन लंबी दूरी की जासूसी कर सकेंगे। यही नहीं, वे मिसाइल केंद्रों की भी निगरानी में सफल और सक्षम होंगे। एस-171 सिमोर्ग जैसे ड्रोन युद्ध के समय एयर स्ट्राइक, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और मिसाइल लांच करने में भी सहायक हो सकेंगे। अगर ईरान ऐसे शक्तिशाली ड्रोन बनाने में सक्षम हो जाता है, तो इजरायल के लिए घातक और चिंता का विषय बन सकता है। इसकी टेक्नोलॉजी के द्वारा ईरान शक्तिशाली ड्रोन बनाकर दुनिया में बेचकर भारी आमदनी भी कर सकता है। यूक्रेन ने ड्रोन के ही सहारे बड़े शक्तिशाली रूस की सेना और विमानों को ही नहीं, सैनिक ठिकानों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया है। सोचिए, अपने बेशकीमती ड्रोन ईरान में छूटने के बाद, ध्वस्त और त्राहिमाम कर चुके इजरायल का हश्र क्या होगा? अपने कीमती ड्रोन को ईरान में छोड़ने का सदमा, युद्ध-पिपासु नेतन्याहू पर क्या गुजरती होगी, सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। इजरायल का साथ देकर, ईरानी परमाणु संस्थानों पर अपने बी-2 बॉम्बर से क्लस्टर बम गिराने वाले और तबाह करने वाले अमेरिका को भी ईरान ने दहला दिया है। उसे उसकी औकात बता दी है, साथ में यह भी कि ईरानी धर्मगुरु, मुस्लिम बिरादरी द्वारा सहयोग नहीं करने पर भी, कायरों की तरह ट्रंप के सामने नहीं झुका। अब सूचना है कि ईरान ने अपने सैकड़ों किलोग्राम संशोधित यूरेनियम से भरे ट्रक, नॉर्थ कोरिया पहुंचाने में सफल हुआ है ईरान। अब उत्तरी कोरिया की मदद से परमाणु बम बनाने में सफल होने के बाद, ईरान का हमला इजरायल और अमेरिका पर ही होगा। तब तानाशाह और बड़बोले ट्रंप को पता चलेगा कि किस जिद्दी धर्मगुरु से उसने पंगा ले लिया है। अब अमेरिका के खिलाफ रूस, चीन, उत्तरी कोरिया के अलावा एक और परमाणु बम संपन्न शक्तिशाली ईरान का भी नाम जुड़ जाएगा। फिर अमेरिका, ईरान पर कभी हमले की जुर्रत नहीं करेगा। यदि दुस्साहस किया, तो ईरान उस पर सीधे परमाणु बम गिराने से नहीं चूकेगा। दुनिया में किसी की भी तानाशाही नहीं चलने वाली। रावण को राम ने मारा, कंस को कृष्ण ने। दोनों की नाम राशियां एक ही रही। राम और रावण के नाम का पहला अक्षर ‘र’ तथा कृष्ण और कंस के नाम में ‘क’ है न? हिटलर, मुसोलिनी का क्या हश्र हुआ? मुझे सारा संसार जीतना है, कहने वाले सिकंदर घायल, बीमार, रास्ते में मरा। अपने घर नहीं पहुंच पाया। इसी तरह, एक न एक दिन हर तानाशाह का बुरा अंजाम होता आया है, होता ही रहेगा।