
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार राज्य में मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ सख्त कार्रवाई के उद्देश्य से महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) में संशोधन लाने जा रही है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को विधान परिषद में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मानसून सत्र के दौरान प्रस्तावित संशोधन का उद्देश्य उन मामलों से निपटना है, जिनमें नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम के तहत गिरफ्तार आरोपियों को जमानत मिल जाती है, जिससे अपराध दोहराने की संभावना बनी रहती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के प्रत्येक पुलिस स्टेशन में एनडीपीएस इकाई स्थापित की गई है और जिला स्तर पर समन्वय समितियां भी गठित की गई हैं। उन्होंने बताया कि बीते ढाई वर्षों में राज्य पुलिस ने मादक पदार्थ तस्करी के कई मामलों में महत्वपूर्ण कार्रवाई की है और अब केंद्र सरकार की मदद से राज्य स्तरीय और अंतरराज्यीय समन्वय अधिक प्रभावी हो गया है। खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान भी राज्यों के बीच बढ़ा है, जिससे संयुक्त कार्रवाइयां संभव हो पाई हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भांग की खेती मध्य प्रदेश में प्रतिबंधित है और इसके साथ-साथ गुटखा व अन्य प्रतिबंधित पदार्थों की तस्करी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या और गुणवत्ता बढ़ाने की दिशा में भी सरकार नीतिगत प्रयास करेगी। शिवसेना (यूबीटी) विधायक सुनील शिंदे के एक सवाल पर फडणवीस ने कहा कि पुलिस अधिकारियों की अनुकंपा भर्ती के लंबित मामलों को मिशन मोड में निपटाया जाएगा और सभी संबंधित विभागों को इसके निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि मुंबई में शुरू की गई 8 घंटे की ड्यूटी प्रणाली अब पूरे राज्य में लागू हो चुकी है। त्योहारों या विशेष परिस्थितियों को छोड़कर, पुलिस को अब नियमित साप्ताहिक अवकाश भी दिया जा रहा है, और यदि अवकाश नहीं मिल पाता है तो नकदीकरण की राशि में वृद्धि की गई है। पुलिस आवास के संबंध में मुख्यमंत्री ने बताया कि पुलिस हाउसिंग प्रोजेक्ट्स तेजी से पूरे राज्य में क्रियान्वित किए जा रहे हैं, और तालुका स्तर पर भी कार्य प्रगति पर है। डीजी लोन योजना, जिसे पिछली सरकार ने बंद कर दिया था, अब पुनः शुरू की गई है और लंबित मामलों का निपटारा किया जा रहा है।
पुलिस कर्मियों में लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों की बढ़ती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए 40 वर्ष से अधिक आयु के अधिकारियों के लिए वर्ष में एक बार तथा 50 वर्ष से अधिक आयु के लिए वर्ष में दो बार स्वास्थ्य जांच अनिवार्य कर दी गई है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के साथ परामर्श की विशेष योजनाएं भी शुरू की गई हैं। राज्य के गृह राज्यमंत्री योगेश कदम ने बताया कि पुलिस के कल्याण हेतु 40 प्रकार की बीमारियों के नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था की गई है। इसके लिए 270 अस्पतालों से करार किया गया है। कैंसर जांच शिविरों के आयोजन के साथ-साथ योग, ध्यान और व्यायामशालाएं भी शुरू की गई हैं, ताकि पुलिस बल शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सके। इस प्रकार, राज्य सरकार मादक पदार्थों के नेटवर्क को तोड़ने और पुलिस बल के कल्याण की दिशा में ठोस नीतियों के साथ आगे बढ़ रही है।