Wednesday, April 16, 2025
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राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने चैत्यभूमि पर भारतरत्न डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर की 134वीं जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की

मुंबई। भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर मुंबई की चैत्यभूमि पर भव्य समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने सभी नागरिकों से डॉ. आंबेडकर के सामाजिक परिवर्तन, समानता और न्याय के सपने को साकार करने का आह्वान किया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, अजित पवार सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। राज्यपाल राधाकृष्णन ने बाबासाहेब को संविधान के शिल्पकार, महान समाज सुधारक और लोकतंत्र के सशक्त स्तंभ के रूप में स्मरण करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संविधान को अपने शासन का मार्गदर्शक माना है। उन्होंने इंदू मिल में निर्माणाधीन डॉ. आंबेडकर स्मारक को आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का केंद्र बताया। मुख्यमंत्री फडणवीस ने अपने संबोधन में डॉ. आंबेडकर के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश की एकता, अखंडता और आधुनिक भारत का आधार संविधान है, जिसे बाबासाहेब ने रचा। उन्होंने सामाजिक विषमता को चुनौती देकर समानता और बंधुत्व के आदर्श स्थापित किए। फडणवीस ने कहा कि संविधान की 75वीं वर्षगांठ का अमृत महोत्सव मनाते हुए, संविधानिक मूल्यों के प्रति निष्ठा रखना ही बाबासाहेब को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा डॉ. आंबेडकर के योगदान को सर्वोच्च बताते हुए कहा गया कि शिक्षा, सामाजिक न्याय, औद्योगिक विकास और मानवाधिकारों की दिशा में उनका कार्य अमूल्य है। उन्होंने राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड, सिंचाई योजनाएं, और श्रमिक अधिकारों जैसे क्षेत्रों में भी ऐतिहासिक योगदान दिया। इस अवसर पर बृहन्मुंबई महानगरपालिका द्वारा बाबासाहेब के जीवन की छायाचित्र प्रदर्शनी लगाई गई, जिसे सभी मान्यवरों ने देखा। राज्यपाल द्वारा भिक्षुओं को चिवरदान और अंध दृष्टिहीन विद्यार्थियों को उपहार भेंट किए गए। भंते डॉ. राहुल बोधी महाथेरो, नागसेन कांबले और अन्य प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति में त्रिशरण बुद्धवंदना का आयोजन हुआ, जिसके बाद पुष्पहार अर्पण कर बाबासाहेब को पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम के अंत में हेलिकॉप्टर से चैत्यभूमि पर पुष्पवृष्टि की गई, जो एक भावपूर्ण दृश्य बना। यह आयोजन न केवल ऐतिहासिक स्मरण था, बल्कि वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए संविधान, समानता और सामाजिक न्याय की मूल भावना को जीवंत बनाए रखने का संदेश भी था।

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