
मुंबई। महाराष्ट्र के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) मंत्री नरहरि जिरवाल भले ही विभागीय अधिकारियों को पारदर्शिता और ईमानदारी से कार्य करने के निर्देश दे रहे हों, लेकिन एफडीए मुंबई के कुछ अधिकारी इन निर्देशों की अनदेखी कर निजी स्वार्थ साधने से नहीं चूक रहे हैं। एफडीए के औषध विभाग के जोन 3 और आईबी डिवीजन के अधिकारियों के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता स्वाति गोविंद किरकिरे ने 7 अप्रैल 2025 को लिखित शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में आरोप है कि मे.अर्बनकेयर लाइफसाइंसेज एलएलपी, घाटकोपर (पश्चिम), डामोदर पार्क सीएचएस लिमिटेड, मुंबई में बिना वैध ड्रग लाइसेंस के अवैध रूप से दवाओं का वितरण कर रही थी। स्वाति किरकिरे का आरोप है कि एफडीए अधिकारियों द्वारा जब्त की गई भारी मात्रा में दवाओं के बावजूद अब तक कंपनी के खिलाफ कोई ठोस कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने अधिकारियों के टालमटोल भरे रवैये को संभावित भ्रष्टाचार का संकेत बताया है। शिकायत की एक प्रति दैनिक स्वर्णिम प्रदेश को भी भेजी गई है। मामले पर जब संवाददाता ने आईबी डिवीजन के सहायक आयुक्त वी.आर.रवि से बात की तो उन्होंने बताया कि “1 अप्रैल 2025 को प्राप्त जानकारी के आधार पर मुंबई मंडल के निरीक्षकों द्वारा मे.अर्बनकेयर लाइफसाइंसेज एलएलपी पर कार्रवाई कर 62 लाख रुपये की दवाएं जब्त की गई थीं। आगे की कार्रवाई जोन 3 के सहायक आयुक्त ज्ञानेश्वर दरंदले करेंगे।
ज्ञानेश्वर दरंदले ने भी पुष्टि की कि “बिना लाइसेंस चल रही कंपनी से 63 लाख रुपये मूल्य की दवाएं जब्त कर कार्यालय लाया गया है। दवा के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं और रिपोर्ट आने के बाद ही न्यायालय में केस दाखिल किया जाएगा। हालांकि, सवाल इस बात को लेकर उठ रहे हैं कि इतनी गंभीर अनियमितताओं के बावजूद संबंधित कंपनी को इतनी जल्दी लाइसेंस कैसे जारी कर दिया गया? यह निर्णय एफडीए की कार्यप्रणाली और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। एफडीए ने 9 अप्रैल को एक प्रेस नोट जारी कर पूरे मामले की जानकारी दी, लेकिन यह तब हुआ जब शिकायतकर्ता ने औपचारिक पत्र लिखकर और मीडिया के माध्यम से मामला उठाया।
अब देखना यह होगा कि क्या एफडीए मंत्री नरहरि जिरवाल इस पूरे मामले का संज्ञान लेते हैं और दोषी अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होती है या फिर मामला यूं ही दबा दिया जाएगा।