Friday, February 21, 2025
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व्यवसायों में डीपसीक का बढ़ता हुआ इस्तेमाल

  • सरोज कुमार मिश्र
    अमेरिका-चीन का व्यापार घाटा 295 बिलियन डॉलर है, भारत-अमेरिका का भी व्यापार घाटा है, ये 45.7 बिलियन डॉलर का है, ये द्विपक्षीय है। चीन के हाथ आ चुका है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) डीपसीक। डीपसीक का व्यवसायों में बढ़ता हुआ इस्तेमाल किया जा सकता है, यह चीन को बड़ी ऊंचाइयों पर ले जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, कृत्रिम बुद्धिमत्ता से कार्यकुशलता में सुधार हो सकता है, ये व्यापार में सुधारात्मक तेजी ला सकता है, निकट भविष्य में चिप्स की भारी मांग हो सकती है। डीपसीक के संस्थापक हैं लियांग वेनफेंग, इनका जन्म 1985 में हुआ, लोकल हैं, झेजियांग यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रानिक इंजीनियरिंग में डिग्री अर्जित की है, ये मैथ गीक हैं। डीपसीक का कोड ‘ओपन सोर्स’ है, टेक एडवांसमेंट से सबको फायदा होना चाहिए, सिर्फ नामी संस्थाओं को ही फायदा नहीं होना चाहिए। ‘ओपन सोर्स’ एक संस्कृति है, ‘ओपन सोर्स’ को योगदान देने से सम्मान मिलता है। नवाचार कहीं से भी आ सकता है, भारत को उम्मीद करनी चाहिए कि यहां भी कुछ हो सकता है। स्थापित रास्ते से ही तरक्की हो सकती है, ऐसा नहीं है, नए रास्ते से भी तरक्की का साहस होना चाहिए।
  • चीन के लिए तो बहुत कारगर है डीपसीक, कई देशों ने डीपसीक पर प्रतिबंध लगाया है, प्रतिबंध लगाने में अमेरिका पहले रहता है, बाकी देश बाद में प्रतिबंध लगाते हैं, चीन भी प्रतिबंध लगाता है, बदले की कार्रवाई में चीन पीछे नहीं रहता। पूर्व में अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगाया था, इसरो पर प्रतिबंध लगाया था, 10-15 साल प्रतिबंध लगा था। प्रतिबंध की वजह से भारत को अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए क्रायोजेनिक इंजन नहीं मिल पाया, भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम पीछे हो गया। प्रतिबंध गैर-अमेरिकी देशों को पीछे रखने का एक कारगर हथियार है। जो देश खुद को लोकतांत्रिक कहते हैं, उन पर भी अमेरिकी प्रतिबंध लगता है, और जो देश कम्युनिस्ट हैं, उन पर भी प्रतिबंध लगता है।
  • भारत में इसरो पर जो प्रतिबंध लगा था, पूर्व के यूएसएसआर (यूनियन सोशलिस्ट सोवियत रिपब्लिक) ने फोर्स मेजर क्लाज का हवाला देकर क्रायोजेनिक टेक्नोलॉजी देना मना कर दिया था, प्रतिबंध अमेरिका के दबाव में था। यूएसएसआर का तो अब अस्तित्व ही नहीं है। तो प्रतिबंध गैर-अमेरिकी देशों को पीछे रखने का हथियार है। तमाम देशों में अमेरिका की चलती है, लेकिन चीन एक ऐसा कम्युनिस्ट देश है, जो अमेरिका पर भी प्रतिबंध लगाता है।
  • डीपसीक पर अमेरिका ने जो प्रतिबंध लगाया है, इससे चीन धीमा हो सकता है, लेकिन रुकेगा नहीं। चीन के पास कुछ ऐसी विशेषता है, जो अमेरिका जानता है। आज का दौर बहुत तेज है, इसमें किसी को रोक पाना आसान नहीं। विश्व के देशों में स्थान रखता है चीन, चीन की अपनी हस्ती है, उसकी हस्ती बरकरार रहेगी।
  • चीन विस्तारवादी है, प्रौद्योगिकी में भी इसका विस्तार है, और जमीन का भी विस्तार है। पूर्व राष्ट्रपति जार्ज बुश के समय में अमेरिका ने नई विश्व-व्यवस्था बनाई, अब डोनाल्ड ट्रंप के दौर में है ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’। ट्रंप ने शुल्क युद्ध शुरू किया है, इसमें वह अपने चार साल का समय निकाल सकते हैं, चार साल में दुनिया में बहुत बदलाव हुआ रहेगा। भेदिया कारोबार का मसला है, भारत के अडानी समूह का असर अमेरिका में भी है, भारत के कॉरपोरेट्स की मौजूदगी अमेरिका में है, डोनाल्ड ट्रंप इन्हें उनके नाम से जानते हैं। वैश्विक देशों में भारत अमेरिका के लिए एक बड़ा बाजार है, भारत एक बड़ी आबादी वाला देश है। रोजगार की बड़ी समस्या है, ये मुख्य समस्या है, ग्रामीण बेरोजगारी है, शहरी बेरोजगारी है। संविधान सम्मत रोजगार की बात है।अमेरिका में अवैध प्रवासियों का विषय है, अभी 104 लोगों को वापस भारत भेजा अमेरिका ने, इन्हें बहुत अपमानित कर के भारत वापस भेजा। कोई अपनी जड़ों से कटना नहीं चाहता, लोगों की परिस्थितियां होती हैं। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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