
मुंबई। मुंबई में न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया है। बैंक के पूर्व महाप्रबंधक हितेश प्रवीणचंद मेहता पर 122 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप लगा है। जब वह दादर और गोरेगांव शाखाओं के प्रभारी थे, तब उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए यह घोटाला किया। बैंक के मुख्य लेखा अधिकारी द्वारा दादर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने के बाद एफआईआर दर्ज की गई और मामला आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंप दिया गया।
कैसे हुआ खुलासा?
ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया कि बैंक की बुक्स ऑफ अकाउंट में 122 करोड़ रुपये का अंतर था। इसके बाद हितेश मेहता और एक अन्य आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। ईओडब्ल्यू ने हितेश मेहता और हितेश पटेल को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया है। इस घोटाले की फोरेंसिक ऑडिट कराई जाएगी ताकि पूरी साजिश का पर्दाफाश हो सके।
RBI की कड़ी कार्रवाई
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक में हो रही अनियमितताओं को देखते हुए इस पर कई प्रतिबंध लगा दिए हैं।
बैंक अब कोई नया लोन नहीं दे सकेगा।
खाताधारक बैंक से सीधे अपना पैसा नहीं निकाल सकेंगे।
बैंक के सभी वित्तीय लेन-देन की निगरानी की जाएगी।
खाताधारकों को राहत
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में 1.3 लाख से अधिक जमाकर्ता हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत खातों में पांच लाख रुपये तक की जमा राशि है। डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के तहत ऐसे खाताधारकों को पांच लाख रुपये तक की पूरी सुरक्षा मिलेगी।
आगे की कार्रवाई
अब ईओडब्ल्यू और आरबीआई की टीमें घोटाले की गहराई से जांच कर रही हैं। बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए सुरक्षा उपायों को और कड़ा किया जाएगा। खाताधारकों को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उनके पैसे की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं।