मुंबई। किसानों की उत्पादन लागत कम करने और उनके उत्पादन में वृद्धि के लिए आने वाले समय में कृषि क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग अनिवार्य होगा। इसी उद्देश्य से महाराष्ट्र सरकार ने प्रायोगिक आधार पर कृषि में एआई तकनीक के उपयोग पर विचार करना शुरू कर दिया है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कृषि विभाग को सहकार विभाग के साथ समन्वय कर इस परियोजना की तकनीकी और आर्थिक व्यवहार्यता की जांच करने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में उपमुख्यमंत्री अजित पवार की अध्यक्षता में मंत्रालय स्थित उपमुख्यमंत्री कार्यालय में एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में कृषि मंत्री एड. माणिकराव कोकाटे, कृषि राज्य मंत्री एड. आशीष जयस्वाल (दूरदृश्य प्रणाली से), सहकार राज्य मंत्री डॉ. पंकज भोयर, अखिल भारतीय द्राक्ष बागायत संघ के अध्यक्ष कैलास पाटील सहित कई वरिष्ठ अधिकारी और विशेषज्ञ उपस्थित रहे। बैठक में कृषि क्षेत्र में एआई के संभावित लाभों और इसके प्रभावी कार्यान्वयन पर चर्चा की गई। सरकार का उद्देश्य है कि एआई तकनीक के माध्यम से किसानों को मौसम पूर्वानुमान, फसल प्रबंधन, जल संरक्षण और उत्पादन लागत कम करने जैसी सुविधाएं मिल सकें। इस परियोजना के तहत बारामती कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों सहित कई प्रमुख संस्थानों से सुझाव लिए जा रहे हैं। राज्य सरकार के इस कदम से कृषि क्षेत्र में नए बदलाव आने की उम्मीद है, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिल सकेगा और कृषि उत्पादकता को नई दिशा मिलेगी।