मुंबई। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 7 जनवरी, 2025 को एक ऐतिहासिक निर्णय में सेंचुरी टेक्सटाइल्स एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड की याचिका को खारिज कर दिया। इस फैसले ने लोअर परेल स्थित लगभग 30,550 वर्ग गज (लगभग 6 एकड़) भूमि का स्वामित्व पूरी तरह से बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के हाथों में सुनिश्चित कर दिया है। यह भूमि वर्षों से कानूनी विवादों के केंद्र में रही थी, और अब यह पूरी तरह से नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में है। यह भूमि मूल रूप से 1927 में सेंचुरी स्पिनिंग एंड मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (जो अब सेंचुरी टेक्सटाइल्स एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड के नाम से जानी जाती है) को पट्टे पर दी गई थी, ताकि वह अपने कर्मचारियों के लिए आवास निर्माण कर सके। पट्टे के अनुसार, 31 मार्च 1955 को पट्टे की अवधि समाप्त हो गई, और इस समझौते के तहत भूमि का स्वामित्व बीएमसी को वापस मिलना था। हालांकि, पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद भी सेंचुरी टेक्सटाइल्स ने 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर भूमि को अपने नाम पर स्थानांतरित करने की मांग की थी। 14 मार्च, 2022 को हाईकोर्ट ने कंपनी के पक्ष में निर्णय सुनाया और भूमि के हस्तांतरण का आदेश दिया। इसके बाद, बीएमसी ने इस फैसले को चुनौती दी और मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की। 7 जनवरी, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने अपना अंतिम निर्णय सुनाया और सेंचुरी टेक्सटाइल्स की याचिका को खारिज कर दिया, साथ ही मामले से संबंधित सभी लंबित याचिकाओं का निपटारा कर दिया। इस फैसले ने यह सुनिश्चित कर दिया कि भूमि का स्वामित्व हमेशा के लिए बीएमसी के पास रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से लंबे समय से चल रहे विवाद का अंत हुआ है, और अब यह सुनिश्चित हो गया है कि यह महत्वपूर्ण भूमि बृहन्मुंबई नगर निगम के नियंत्रण में रहेगी। इस फैसले को बीएमसी के अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक महत्वपूर्ण कानूनी जीत के रूप में स्वीकार किया है। इसके साथ ही, यह भी सुनिश्चित हो गया है कि अब इस भूमि का उपयोग मुंबई शहर और उसके निवासियों के लाभ के लिए किया जाएगा। 2024-2025 रेडी रेकनर दरों के अनुसार, इस भूमि का अनुमानित मूल्य लगभग 660 करोड़ रुपये है।