Thursday, November 21, 2024
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मनुस्मृति का महाराष्ट्र में कोई स्थान नहीं’, अजित पवार का बयान

मुंबई। महाराष्ट्र में स्कूल के सिलेबस में मनुस्मृति को शामिल करने का मुद्दा एक बड़ा विवाद बन गया है। इस मामले ने सियासी रुख ले लिया है। विपक्ष का दावा है कि राज्य सरकार सिलेबस में मनुस्मृति के श्लोक को शामिल करने जा रही है। वहीं दूसरी तरफ, सरकार इस पर सफाई पेश करते हुए इस बात से इंकार कर रही है। सरकार का कहना है कि मनुस्मृति को सिलेबस में नहीं शामिल किया जाएगा। एनसीपी अध्यक्ष अजीत पवार ने कहा कि ‘मनुस्मृति का महाराष्ट्र में कोई स्थान नहीं है’। महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा मंत्री दीपक वसंत केसरकर ने भी इस पर सफाई देते हुए कहा था कि मनुस्मृति को सिलेबस में शामिल नहीं किया जाएगा। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी के अध्यक्ष अजीत पवार ने गुरुवार को महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र के मौके पर राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में इस बात का ऐलान किया। ज्ञात हो कि राज्य स्कूल शिक्षा विभाग ने अपने स्कूल पाठ्यक्रम ढांचे (एससीएफ) को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के साथ मिलाने के बाद ‘भारतीय ज्ञान प्रणाली’ (आईकेएस) का एक ड्राफ्ट पेश किया था। इस ड्राफ्ट में सुझाव दिया गया था कि सिलेबस में संतों के जीवन और साथ ही भगवद गीता और मनुस्मृति के श्लोकों का पाठ भी शामिल किया जाना चाहिए। इसके बाद से इस मुद्दे को लेकर सियासत शुरू हो गई।
अजीत पवार ने पेश की सफाई
विपक्ष लगातार इस मुद्दे को उठा रहा है, जिस पर सफाई पेश करते हुए अजीत पवार ने कहा, “स्कूल पाठ्यक्रम में ‘मनुस्मृति’ का कोई भी श्लोक शामिल नहीं किया गया है। राज्य में मनुस्मृति के श्लोकों को सिलेबस में शामिल करने की कोई कोशिश नहीं की गई है। पवार ने कहा कि मनुस्मृति को राज्य सरकार का समर्थन नहीं है। अजीत पवार ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा इस तरह से राजनीति करना ठीक नहीं है, महाराष्ट्र इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता। पवार ने कहा कि महाराष्ट्र शिवाजी, फुले, शाहू और डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के विचारों को लागू करने के लिए जाना जाता है। साथ ही, पवार ने कहा कि डॉ. बी.आर.अम्बेडकर ने दोहराया था कि राज्य में ‘मनुस्मृति’ का कोई स्थान नहीं है। हालांकि विपक्ष का कहना है कि राज्य सरकार पाठ्यक्रम में ‘मनुस्मृति’ के श्लोक शामिल करना चाहती है। पवार ने कहा कि स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि सरकार की ‘मनुस्मृति’ के श्लोकों को शामिल करने की कोई योजना नहीं है।

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