बीएमसी एच/पूर्व के अभियंताओं की बदली आदेश के बाद भी बदली क्यों नहीं?
बदली आदेश के बाद नगर अभियंता से सेटिंग कर लेते भ्रष्ट अभियंता
मुंबई। बृहन्मुंबई महानगर पालिका में आयुक्त व प्रशासक भूषण गगरानी के आने के बाद भी नगर अभियंता कार्यालय में बैठा नगर अभियंता रिश्वतखोरी करने से बाज नही आ रहा है। जो जांच का विषय है। इन्हें न तो आयुक्त, न चुनाव आयोग का डर है। इन्हें सिर्फ काली कमाई से मतलब हैं। जिसके चलते इनके आदेशों की धज्जियां अभियंता उड़ा रहे है। बिना इनकी मिलीभगत से कोई अभियंता सरकारी आदेश की धज्जियां कैसे उड़ा सकता है। मिली जानकारी के अनुसार बीएमसी एच/पूर्व विभाग में कार्यरत कनिष्ठ अभियंता अमोल खामकर, श्रीकृष्ण पाटिल, शाहरुख पठान, सोनल आव्हाड, शैलेश मूत्रक की बदली का आदेश होने के बाद भी नगर अभियंता कार्यालय में नगर अभियंता दिलीप पाटिल, निकम व बैठे अधिकारी रिश्वत लेकर अपने आदेशो की स्वयं अवहेलना कर रहे है। नियम के मुताबिक 3 साल बाद अधिकारियों की बदली होना तय है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह हैं बीएमसी एच/पूर्व के अभियंताओं की बदली होने के बाद भी विभाग से जाने को तैयार नहीं। और नही जाने के पीछे का कारण इस विभाग में ठेकेदारों, भूमाफियाओं व गैरकानूनी काम करने वालो को संरक्षण देकर मोटी वसूली है। वहीं बीएमसी एच/पूर्व में कुछ अभियंता ऐसे भी हैं जो 3 साल पूरा होनेके बाद भी कार्यरत हैं जो पहले से ही नगर अभियंता कार्यालय में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों से सेटिंग कर अपना तबादला रोक रखा है। जिसमें परिरक्षण विभाग के सहायक अभियंता दीपक जाधव, जल विभाग का सहायक अभियंता सुधीर जाधव और अन्य अभियंता शामिल है। वहीं सवाल यह उठता हैं कि जब बीएमसी के पूर्व आयुक्त व अतिरिक्त आयुक्तों की बदली चुनाव आयोग के आदेश के बाद हुई। तो इन अभियंताओं को किस नियम के तहत रोककर रखा गया है। नगर अभियंता कब तक भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते रहेंगे। अब देखना यह हैं कि क्या बीएमसी आयुक्त भूषण गगरानी व राज्य चुनाव आयुक्त इस विषय पर संज्ञान लेते हुए नगर अभियंता कार्यालय में जारी भ्रष्टाचार की जांच का आदेश देंगे?