सुप्रीम कोर्ट ने कैंसर पीड़ित एक आरोपी की जमानत रद्द करने की मांग पर ED को फटकार लगाई है। कोर्ट ने ED के अधिकारियों से कहा कि आप लोगों ने स्टेशनरी, लीगल फीस के साथ कोर्ट का समय भी बर्बाद किया है। इसके अलावा कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले अधिकारी पर उसके वेतन से 1 लाख रुपए जुर्माना भरने का भी आदेश दिया।
दरअसल, कैंसर पीड़ित आरोपी एक प्राइवेट बैंक का कर्मचारी है। उस पर आरोप है कि उसने 24 करोड़ रुपयों की धोखाधड़ी की। इसी मामले में उसे गिरफ्तार किया गया था। मामला 12 नवंबर 2021 को इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा था, जहां हाईकोर्ट ने कमला नेहरू अस्पताल में आरोपी की बीमारी की रिपोर्ट पर विचार करते हुए जमानत दे दी थी। ED ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने कहा- हमें मामले में हस्तक्षेप की जरूरत नहीं
जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि केस की परिस्थिति के मुताबिक, जब आरोपी को रिहा कर दिया गया है। इस आधार पर कि वह कैंसर से पीड़ित है, तो इसमें सुप्रीम कोर्ट के किसी और हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
एक महीने के भीतर देना होगा पैसा
कोर्ट ने कहा कि विभाग को एक महीने में यह पैसा सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करना होगा। 1 लाख रुपयों में से 50 हजार नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी को दिए जाएंगे। इसके अलावा बची हुई राशि सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता और सुलह परियोजना समिति को सौंप दिए जाएंगे।