मुंबई। नांदेड़ अस्पताल में हुई मौतों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार ने फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि सरकार बताए उसने सरकारी अस्पतालों में खाली पदों को भरने के लिए क्या कुछ कदम उठाए। साथ ही चिकित्सा आपूर्ति के बारे में हलफनामा दायर करें। डॉ. शंकरराव चव्हाण मेडिकल कॉलेज एवं सरकारी अस्पताल में मौतों का सिलसिला जारी है। बीते 4 दिन में 51 लोगों की जान गई है। इस पर एक्शन लेते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था। इसी मामले पर लगातार दूसरे दिन सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर के 97 पद मंजूर हैं, लेकिन वहां सिर्फ 49 प्रोफेसर ही तैनात हैं। इस बारे में आप क्या कहेंगे? इस मुद्दे पर अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी। एक दिन पहले हाईकोर्ट ने अस्पतालों में दवाओं की कमी होने का कारण खारिज करते हुए राज्य सरकार से हेल्थ बजट का ब्योरा मांगा था।
दवा खरीद पर हाईकोर्ट ने कहा- कोई सीईओ नहीं, इसे भर्ती करें
अदालत ने इस मामले की जांच के लिए एडवोकेट मोहित खन्ना को अपॉइंट किया था। उन्होंने बताया कि दवा खरीद राज्य की एक सरकारी यूनिट हाफकिन करती है। टेंडर में काफी समय लगता है। इसका कोई सीईओ भी नहीं है। दवा खरीद में कमी आई है। 2017 के बाद से हाफकिन राज्य की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही है। 700 करोड़ का फंड दवा की खरीदी के लिए पड़ा है, लेकिन वह खर्च नहीं हो पा रहा। इस पर जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की बेंच ने कहा कि ट्रिब्यूनल मई में बना था, अक्टूबर चल रहा है। अभी भी इसका कोई सीईओ नहीं है। यही समस्या है। आप अच्छी नीतियां लेकर आते हैं, लेकिन जब कार्यान्वयन की बात आती है तो कुछ नहीं किया जाता है। सरकार को निर्देश दिया जाता है कि दो हफ्ते में सीईओ की भर्ती करें।
सरकार का जवाब- नवंबर तक पद भरे जाएंगे
महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ ने बताया कि ज्यादातर मरीजों को आखिरी स्टेज में लाया गया था। सरकारी अस्पतालों पर बहुत दबाव है। साथ ही कर्मचारियों की कमी है। इसलिए इन मौतों का दोषी किसी को नहीं ठहराया जा सकता है। सीएम खुद हालात पर नजर बनाए हुए हैं। जरूरी व्यवस्थाएं करने के लिए जिलास्तर पर अधिकारियों को अधिकार दिए गए हैं।