विशेष सत्र की चर्चा के पूर्व कश्मीर में तीन महान सपूतों को श्रद्धांजलि जिन्होंने आतंकवादियों से लोहा लेते हर शहादत पाई। सारा देश उन शहीद परिवारों के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए शहीदों को नमन कर रहा था उसी समय जी 20 को मोदी की उपलब्धि बताने वाली भाजपा मुख्यालय में जश्न मना रही थी। एक तरफ शहिद परिवार मातम मना रहा था। रूदन क्रंदन चल रहा था। देखने वालों की आंखें गंगा जमुना बनकर बहाने लगी थी। तो दूसरी तरफ मोदी की वाहवाही में बीजेपी वाले झूम रहे थे। आनंदित थे। जश्न मनाने में व्यस्त शहीदों की शहादत की उपेक्षा करते हुए देशभक्त। अब संसद के विशेष सत्र की चर्चा। बीजेपी के शीर्ष पुरुष लालकृष्ण आडवाणी ने तत्कालीन कांग्रेस के प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था जिसमें मुख्यचुनाव आयुक्त की नियुक्ति के संदर्भ में सुझाव दिए थे। प्रधानमंत्री, कानून मंत्री, विपक्षी नेता लोकसभा और राज्यसभा के साथ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को मिलाकर एक कमेटी बने जो सर्वसम्मति अथवा बहुमत से मुख्यचुनाब आयुक्त की नियुक्ति करे। बेशक सुझाव उत्तम था जिससे सत्ताधारी दल अपनी मर्जी से मुख्यचुनाव आयुक्त की नियुक्ति न कर सके। इस सुझाव के लिए वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी जी बेशक श्रद्धा के पात्र हैं। उन्हें एक न्यायशील सुझाव देने के लिए साधुवाद समूचे देशवासियों की ओर से।दुर्भाग्य वश सुझाव पर अमल नहीं हो सका। कालांतर में सुप्रसिद्ध एडवोकेट सुप्रीमकोर्ट ने एक याचिका दाखिल की।सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बेंच ने व्यवस्था देते हुए एक कमेटी बनाने का फैसला दिया जिसमें पीएम, विपक्षी लोकदल नेता और सी जे आई निर्णय करेंगे लेकिन इससे पीएम मोदी के एकाधिकार बाद को चोट पहुंची। ऐसा मुख्यचुनाव आयुक्त जिसे तीन लोगों की कमेटी चुनेगी वह कैसे सत्ता की कठपुतली बनकर काम करेगा। यही सोचकर पीएम मोदी ने तानाशाही तरीके से एक ऐसे अफसर से रिटायरमेंट के एक महीने पूर्व इस्तीफा दिलाया और तुरंत गोयल को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाकर अपना गुलाम नियुक्त कर दिया। वास्तव में मोदी को सीजेआई पर तनिक सा भरोसा नहीं था कि वे उनकी हां में हां मिलाएंगे। अब चूंकि लोकसभा चुनाव मार्च 2024 में होने हैं। उसके दो महीने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त रिटायर हो जाएंगे। अतः मोदी संसद का विशेष सत्र बुलाकर पीएम, उनके द्वारा चुने अपने किसी मंत्री और लोकसभा में विपक्षी दल के नेता की टीम के द्वारा मुख्यचुनाव आयुक्त की नियुक्ति बहुमत के जरिए अपना पालतू तोता मुख्यचुनाव आयुक्त नियुक्त कर मनमाने ढंग से चुनाव करवा सकें। दूसरी बात एक राष्ट्र एक चुनाव जिसकी पूरी तैयारी पूर्व राष्ट्रपति के सहयोग से पहले ही कर ली गई थी को अमलीजामा पहनाने के लिए एक सुझाव कमेटी का गठन कर दिखावा किया। विशेष सत्र में अन्य चार पांच राज्यों की विधानसभाओं का समय टालकर मार्च, 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ कराया जा सके, इस संबंध में संसद में कानून बनाया जाए। तीसरी अहम बात कि इलेक्ट्रोनिक और प्रिंट मीडिया को पालतू भले ही बना दिया गया हो। जो चरण रज लेकर जीहुजूरी कर रहे हैं लेकिन कुछ स्वाभिमानी निष्पक्ष पत्रकार जो गोदी मीडिया का हिस्सा बनने को तैयार नहीं हुए उन्होंने इस्तीफा देकर सोशल मीडिया में युत्युब चैनल के द्वारा सच्ची खबर दिखा रहे हैं। चंद ऐसे निर्भीक निष्पक्ष पत्रकारों पर अंकुश लगाने के लिए भी संसद में एक बिल लाने की तैयारी भी पूरी हो चुकी है ताकि सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने, सत्ता से सवाल पूछने का दुस्साहस कर रहे हैं उनके विरुद्ध देशद्रोही कानून का सहारा लेकर जेल भेजा जा सके। मोदी की भक्ति नहीं करने वाले आंखों की किरकिरी बने हुए चुभ रहे हैं। जिस तरह मानसून सत्र में ईडी और सीबीआई का भय दिखाकर अल्पमत के बावजूद राज्यसभा से भी बिल पास कराया था उसी का भय दिखाकर इस बार भी राज्यसभा में बिल पास करा लिया जाएगा। इतना निश्चित है मोदी की पैतरेबाज़ी चुनाव जीतने की हर हाल में चलती रहेगी। इसी बीच सुप्रीमकोर्ट में चुनाव आयोग ने वी वी पैंट की पर्ची सुरक्षित नहीं रखने की अपनी गलती स्वीकार कर ली। सुधार करने का वादा किया। मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करके मोदी उस पर कब्जा जमाने की कोशिश करेंगे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि चुनाव में कोई भी अधिकारी गलत या पक्षपात करेगा सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करने को बाध्य होगा। हमें ऐसा करने का अधिकार है। मुख्य चुनाव आयुक्त, सुरक्षा बलों की नियुक्ति, बूथ को अति संवेदनशील होने की घोषणा और विधानसभा विधान परिषद सहित लोकसभा के चुनाव की तिथि, चरण आदि की व्यवस्था करता है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करना शुरू किया और वीवी पेट की रसीदें सुरक्षित रखी जाती हैं तो ईवीएम हैक करना मुश्किल होगा। हां पर्ची में बदलाव करने की कोशिश की जा सकती है।