
दुनिया में रूस यूक्रेन वॉर के समय से ही ऐसे हालत बन रहे हैं कि तीसरे विश्व युद्ध होने को टाला नहीं जा सकता।सोवियत रूस के बिखरने के बाद एक ध्रुवीय अमेरिका सामने आकर दुनिया में दादागिरी दिखाता आ रहा है। इराक पर नाटो के हमले से पूरी तरह बरबाद हो गया। अफगानिस्तान जो अत्यंत पिछड़ा गरीब राष्ट्र था, कनिलासियों में अमेरिका जैसे सर्वशक्तिमान राष्ट्र को नाकों चने चबवा दिए और अपना हथियार वाहन बख्तरबंद गड़िया तोपें छोड़कर जान बचाकर भागना पड़ा था। बियेतनम जैसे छोटे देश में अपने तमाम संसाधनों के बावजूद अमेरिका को हार माननी पड़ी ।यह है सुपर पॉवर का सुपर जलवा। व्यापारी देश अमेरिका हथियार बनाता है बेचकर पैसा बनाने के लिए। पैसा इसलिए बनाता है कि अपनी ताकत की धौंस दिखा सके।दो देशों में युद्ध के हालात पैदा कर सके। यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद अमेरिका ने नाटो देशों के साथ यूक्रेन को हथियार देकर रूस की शक्ति खत्म करना चाहा। रूस के राष्ट्रपति ब्लैडिन पुतिन ने वह युद्ध गल्फ देशों में ट्रांसफर कर दिए। हमास और इजरायल में खूनी संघर्ष शुरू हो गया। गहरी लंबी सुरंगों में रहकर जहां बिजली पानी इंटरनेट और ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में है से निकलकर कब इजरायल के टैंकों पर आर डी एक्स रख जाता है और टैंक धू धू कर जल जाता है।इजरायल के डिफेंस सिस्टम पर हमला कर देता है इजरायल को पता ही नहीं चलता क्योंकि हमास को ईरान का साथ मिला हुआ है। इजरायल के पक्ष में ब्रिटेन और अमेरिका के कूदने के बाद रूस और चीन के भी कूदने का खतरा बन गया है। ईरान द्वारा यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस को ड्रोन देने का मामला था ही और अब हमास को ईरान द्वारा सहायता देने से अमेरिका चिढ़ा हुआ है।वह ईरान को उकसाकर बाहर लाना चाहता है लेकिन सदियों तक राज करने वाली ईरानी कौम अमेरिकी उलासवे में आकर बाहर निकलने वाली नहीं है।दूसरी तरफ हुती विद्रोही और यमन जैसा छोटा सा कमजोर देश सत्ताइस राष्ट्रों के लिए चैलेंज देने लगा है। अमेरिकी पोत को इजरायल तक पहुंचने नहीं दिया जा रहा। लालसागर पर कब्जा यानी स्वेज नहर जिसके द्वारा भारत यूरोप से व्यापार करता है। रूस से कच्चा तेल आने का सरलतम और कम खर्चीला मार्ग है पर कब्जे और विश्वयुद्ध शुरू होने पर भारत को सबसे अधिक परेशानी झेलनी पड़ेगी। रूस भारत से कोई वस्तु मंगता नहीं है। तेल की कीमत रुपए और डॉलर में लेने को तैयार नहीं होने पर भारत ने गल्फ देशों को जरूर मनाया है। अफ्रीका के साथ करार किया है। लगता है मालिका की भविष्यवाणी फिर से सत्य सिद्ध होने जा रही है। दो दो युद्धों से भी विश्व ने कोई सबक नहीं सीखा है।अब तीसरे विश्वयुद्ध की आहट से समूची दुनिया सकते में है। भारत सबसे अधिक प्रभावित होने वाला है। स्वेज नजर बंद होने से अफ्रीकी महाद्वीप का पूरा चक्कर लगाना होगा भारतीय आयात के लिए जहाज को जबकि चीन रूस से जमीन से जुड़ा हुआ है उसके द्वारा यूरोप से व्यापार करने में सक्षम है। देखना है तीसरे विश्वयुद्ध की दस्तक देने के बाद शुरुआत कब होती है।




