Tuesday, July 1, 2025
Google search engine
HomeUncategorizedविधायकों की अयोग्यता मामले में फैसले का शिवसेना-भाजपा सरकार पर नहीं पड़ेगा...

विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसले का शिवसेना-भाजपा सरकार पर नहीं पड़ेगा असर- देवेन्द्र फडणवीस

मुंबई। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री व भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि विधायकों की अयोग्यता मामले में विधानसभा अध्यक्ष का फैसला कुछ भी हो, उसका शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा और सरकार स्थिर रहेगी। फडणवीस का यह बयान ऐसे समय आया है जब विधानसभा अध्यक्ष बुधवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना के अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला सुनाने वाले हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने कहा कि गठबंधन सरकार कानूनी रूप से वैध है और उम्मीद है कि विधानसभा अध्यक्ष का फैसला विधायकों को न्याय प्रदान करेगा। महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर बुधवार को मुख्यमंत्री शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएंगे, जिनकी बगावत के कारण जून 2022 में शिवसेना में विभाजन हुआ था। उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाने की समय-सीमा 31 दिसंबर, 2023 तय की थी, लेकिन उससे कुछ दिन पहले 15 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने अवधि को 10 दिन बढ़ाकर फैसला सुनाने के लिए 10 जनवरी की नयी तारीख तय की। फडणवीस ने यहां संवाददाताओं से कहा, विधानसभा अध्यक्ष उचित और कानूनी रूप से न्यायसंगत फैसला करेंगे। हमारा पक्ष मजबूत है। हमारी सरकार कानूनी तौर पर मजबूत है। हमें उम्मीद है कि विधानसभा अध्यक्ष से हमें न्याय मिलेगा…. हमारी सरकार कल भी स्थिर थी और कल भी स्थिर रहेगी। गौरतलब है कि जून 2022 में, शिंदे और कई अन्य विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी जिससे शिवसेना में विभाजन हो गया और महा विकास आघाड़ी (एमवीए) की गठबंधन सरकार गिर गई थी। गठबंधन में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस भी शामिल थी। इसके बाद शिंदे और ठाकरे गुटों द्वारा दलबदल रोधी कानूनों के तहत एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गई थीं। विधान भवन के अधिकारियों ने सोमवार को कहा था, फैसला 10 जनवरी को शाम 4 बजे के बाद आने की उम्मीद है। विधानसभा अध्यक्ष का कार्यालय फैसले को अंतिम रूप दे रहा है। जून 2022 में विद्रोह के बाद शिंदे भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे। पिछले साल जुलाई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का अजित पवार गुट उनकी सरकार में शामिल हो गया था। निर्वाचन आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को ‘शिवसेना’ नाम और ‘तीर धनुष’ चुनाव चिह्न दिया, जबकि ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना (यूबीटी) नाम और मशाल चुनाव चिह्न दिया गया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments