लेखक- सुभाष आनंद
ज्यों-ज्यों लोकसभा चुनाव निकट आ रहे हैं त्यों-त्यों युवा वर्ग राजनीतिक पार्टियों के यूथ विंगों से मुंह मोड़ रहे हैं। पंजाब में यूथ अकाली दल और यूथ कांग्रेस से भी युवा वर्ग दूर होता जा रहा है। राजनीतिक पार्टियों में नौजवानों को अपना भविष्य धुंधला नजर आने लगा है। इसी कारण राजनीतिक पार्टियों के प्रति नौजवानों का उत्साह कम होता नजर आ रहा है। नौजवान पीढ़ी जो कभी राजनीतिक यूथ विंग की रीढ़ की हड्डी मानी जाती थी आज स्वयं रीढ़विहीन नजर आ रही है।
यदि अकालीदल यूथ विंग की बात की जाए तो यह पिछले कई वर्षों से काफी सक्रिय भूमिका निभा रहा था। अकाली दल का यूथ ब्रिगेड मजबूत किले की भांति काम कर रहा था। जब विक्रमजीत सिंह यूथ अकाली दल के अध्यक्ष थे। इसकी लोकप्रियता चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी, लेकिन बाद में धीरे-धीरे इसका पतन होता रहा। 10 वर्ष लगातार सत्ता में रहने के कारण अकाली दल में ठहराव आ गया था। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में अकाली दल को मिली बड़ी पराजय और प्रकाश सिंह बादल की मृत्यु के पश्चात सुखबीर सिंह बादल यूथ अकाली दल को पुन: सक्रिय करने के लिए एड़ी चोटी का बल लगा रहे हैं। आज यूथ अकाली में बड़े पैमाने पर ग्रामीण के साथ साथ शहरी नौजवानों की भर्ती की जा रही है। यहां यूथ अकाली दल को जोनों में बांटा जा रहा है ताकि गांव गांव व शहर शहर स्तर पर इसे मजबूत किया जा सके। जोनों और जिला प्रधानों की घोषणा के पश्चात पंजाब में अकाली दल द्वारा पंजाब बचाओ यात्रा निकाली जा रही है। पंजाब में पुराने अकाली नेताओं का कहना है कि सत्ता से अलग होते ही यूथ अकाली दल सक्रिय नहीं रहा। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल स्वयं अच्छे नौजवानों की तलाश में लगे हुए हैं। दूसरी तरफ यदि यूथ कांग्रेस की बात की जाए तो जब एम.एस बिट्टा पंजाब यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष थे। तब कांग्रेस की लोकप्रियता ऊंचाईयां छू रही थी। राहुल गांधी ने पार्टी में लोकतंत्र लाने के लिए यूथ कांग्रेस का चुनाव वोटिंग द्वारा करवाया। परंतु इसका सबसे ज्यादा नुकसान यह हुआ कि पार्टी के भीतर नई गुटबंदी बनी, जिसके कारण यूथ विंग की गतिविधियों को बड़ा धक्का लगा। कई जिलों में ऐसे प्रधान चुने गए जिन्हें बड़े नेताओं के नाम पर वोट मिलते थे। ऐसे लोगों को एक शहर से दूसरे स्थान पर जाने के लिए अलग पहचान बनानी पड़ी थी। पहले कालेजों और विश्व विद्यालयों के बच्चे बड़ी संख्या में राजनैतिक दलों की युवा शाखा से जुड़ते थे। पर आज यूथ विंग की पार्टियों को ऐसा लग रहा है कि यूथ उनके हाथों से निकल रहे हैं। कांग्रेस की यूथ विंग को गिला है कि उन्हें रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं करवाए,आज नौजवान बड़ी मात्रा में जमीनें बेचकर विदेश जा रहे हैं। आज की नौजवान पीढ़ी आम आदमी पार्टी से भी संतुष्ट नहीं है। पंजाब में नशे का धंधा पहले से ज्यादा बढ़ चुका है जिसमें ज्यादा प्रभावित युवा वर्ग ही है।