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मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के प्रमोटरों धीरज और कपिल वधावन को 2020 के यस बैंक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दे दी है। अदालत ने उनकी लंबी कैद और निकट भविष्य में मुकदमे की कोई संभावना न होने के आधार पर यह फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव ने बुधवार को दोनों भाइयों को 1-1 लाख रुपये के मुचलके पर रिहा करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि वे चार साल नौ महीने से हिरासत में हैं और मुकदमे की जल्द सुनवाई की कोई संभावना नहीं है। हाईकोर्ट ने 32 पृष्ठों के फैसले में कहा कि इतनी लंबी अवधि तक हिरासत में रखना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत त्वरित न्याय के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। हाईकोर्ट ने कहा कि वधावन भाइयों को और अधिक कारावास में रखने की जरूरत नहीं है और वे बिना मुकदमे की सुनवाई के लंबे समय से जेल में हैं। अदालत ने यह भी ध्यान में रखा कि वे अधिकतम 7 साल की सजा वाले अपराध में आधी सजा पहले ही काट चुके हैं। मई 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप पत्र दायर किया था, लेकिन अब तक आरोप तय नहीं हुए हैं। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि मुकदमे में हो रही देरी के लिए केवल वधावन भाइयों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। यह मामला यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर और डीएचएफएल के वधावन भाइयों के बीच 4000 करोड़ रुपये के ऋण घोटाले से जुड़ा है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले में आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था, जिसके बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की। इस मामले में कुल 36 आरोपी हैं। विशेष अदालत द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया था, जहां अब उन्हें जमानत मिल गई।