Tuesday, December 16, 2025
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ऐसे समझें प्रस्तावित व्यवसायिक इंजीनियर्स विधेयक 2025 को

इंजी.विवेक रंजन श्रीवास्तव
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा प्रस्तावित व्यवसायिक इंजीनियर्स विधेयक 2025 इंजीनियरिंग पेशे को व्यवस्थित एवं सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस विधेयक के तहत इंजीनियरों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर लाइसेंसिंग प्रणाली लागू होगी, जो पेशे में पारदर्शिता, जवाबदेही और उच्च मानकों को सुनिश्चित करेगी। यह बिल संभवतः संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा, जिससे इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव आएगा। इस नए कानून के तहत 27 सदस्यों वाला भारतीय व्यवसायिक इंजीनियर्स परिषद (आईपीईसी) गठित किया जाएगा, जो इंजीनियरों का पंजीकरण और लाइसेंसिंग का कार्य संभालेगा। इंजीनियरिंग से जुड़े तकनीकी एवं निर्माण कार्य में कार्यभार संभालने के लिए लाइसेंस आवश्यक होगा। इसके साथ ही, इंजीनियरों के लिए एक राष्ट्रीय रजिस्ट्रेशन प्रणाली भी स्थापित की जाएगी। वर्तमान में कार्यरत इंजीनियरों को पंजीकरण के लिए 5 से 10 साल का संक्रमणकालीन समय दिया जाएगा, ताकि वे नए नियमों के अनुरूप खुद को तैयार कर सकें। एआईसीटीई के पूर्व सचिव राजीव कुमार के अनुसार, भारत में इंजीनियरिंग पेशा एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां अब तक राष्ट्रीय स्तर की लाइसेंसिंग प्रणाली मौजूद नहीं थी। यह विधेयक इसी कमी को पूरा करने के साथ-साथ पेशेवर मानकों को मजबूती प्रदान करेगा। इससे न केवल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में गुणवत्ता और उत्तरदायित्व बढ़ेगा, बल्कि इससे जुड़े प्रोजेक्ट्स की विश्वसनीयता और सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। हालांकि इस नई प्रणाली से छोटे इंजीनियर और फ्रीलांसरों को शुरुआत में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन दीर्घकालीन रूप से यह परिवर्तन पूरे इंजीनियरिंग समुदाय के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। पारदर्शिता, जवाबदेही और मानकीकरण की इस प्रक्रिया से इंजीनियरिंग पेशे का वैश्विक स्तर पर संरक्षण और सम्मान बढ़ने की संभावना है। इस प्रकार, व्यवसायिक इंजीनियर्स विधेयक 2025 न केवल इंजीनियरिंग पेशे को अधिक संगठित बनाएगा, बल्कि देश में तकनीकी प्रगति और विकास को भी एक नई दिशा देगा। यह एआईसीटीई की तकनीकी शिक्षा और व्यावसायिक मानकों को ऊँचा उठाने की निरंतर चल रही कोशिश का एक अहम हिस्सा है। आए दिन बढ़ती तकनीकी जरूरतों के बीच यह कदम एक सकारात्मक और आवश्यक पहल के रूप में देखा जा सकता है।

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