Wednesday, August 6, 2025
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स्थानीय निकाय चुनाव से पहले उद्धव-राज की नजदीकियों से बदलेगा महाराष्ट्र का राजनीतिक परिदृश्य?

मुंबई। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की आहट के साथ ही राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। सभी प्रमुख दल अपने संगठनात्मक ढाँचे को मजबूत करने में जुट गए हैं। इसी क्रम में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आगामी नगर निगम चुनावों की रणनीति तय करने के लिए पदाधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की। यह बैठक उन अटकलों के बीच हुई, जिनमें कहा जा रहा है कि शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) संभावित गठबंधन की दिशा में बढ़ सकती हैं। बैठक के दौरान उद्धव ठाकरे ने ठाणे, कल्याण-डोंबिवली, मीरा-भायंदर, नवी मुंबई, उल्हासनगर, भिवंडी और वसई-विरार नगर निगम चुनावों को लेकर पार्टी पदाधिकारियों से गहन चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी नगर निगम क्षेत्रों में संगठनात्मक तैयारियाँ युद्धस्तर पर शुरू की जाएँ और समूह प्रमुखों की नियुक्ति जल्द से जल्द पूरी की जाए। उद्धव ठाकरे ने अपने पदाधिकारियों से कहा, “न्यायालयों के निर्णयों और नए वार्ड ढाँचे के अनुसार रणनीति बनानी होगी। वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों और बदलावों पर पैनी नज़र रखें।” उन्होंने सभी सीटों पर चुनावी तैयारी शुरू करने का निर्देश भी दिया, जिससे संकेत मिलता है कि पार्टी गठबंधन की संभावनाओं पर विचार जरूर कर रही है, लेकिन अपने स्तर पर संपूर्ण तैयारी को प्राथमिकता दे रही है। इस समीक्षा बैठक से कुछ दिन पहले ही मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने भी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था। उन्होंने पहली बार सार्वजनिक रूप से उद्धव ठाकरे का ज़िक्र करते हुए कहा, अगर 20 साल बाद हम दोनों भाई एक मंच पर आ सकते हैं, तो फिर कार्यकर्ता आपस में क्यों लड़ रहे हैं? यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में संभावित बदलाव की ओर इशारा करता है। राज ठाकरे ने मुंबई महानगरपालिका में सत्ता में आने का विश्वास जताते हुए अपने कार्यकर्ताओं से आपसी मतभेद भुलाकर पूरी ताकत से चुनावी तैयारी में लगने को कहा। हालाँकि अब तक उद्धव ठाकरे समय-समय पर गठबंधन को लेकर सकारात्मक रुख दिखा चुके हैं, लेकिन राज ठाकरे ने अभी तक कोई स्पष्ट राजनीतिक रेखा तय नहीं की है। इसके बावजूद दोनों नेताओं के बीच बढ़ती निकटता को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज़ है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के बीच गठबंधन होता है, तो यह न केवल मुंबई, ठाणे और पुणे जैसे शहरी क्षेत्रों में सत्ता समीकरण बदल सकता है, बल्कि राज्य की राजनीति में भी एक नया मोड़ ला सकता है। दोनों ठाकरे बंधुओं की एकजुटता न केवल मराठी मतदाताओं को पुनः संगठित कर सकती है, बल्कि भाजपा और शिंदे गुट के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। अब देखना यह होगा कि क्या यह “ठाकरे-मिलन” केवल चुनावी रणनीति तक सीमित रहेगा या महाराष्ट्र की राजनीति में एक दीर्घकालिक परिवर्तन की भूमिका निभाएगा।

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