Thursday, November 21, 2024
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मस्जिद में आएगा तो दो टांगों पर, लेकिन जाएगा स्ट्रेचर पर, नितेश राणे को वारिस पठान की चेतावनी

मुंबई। महाराष्ट्र के सांगली में हाल ही में बीजेपी नेता नितेश राणे और एआईएमआईएम नेता वारिस पठान के बीच विवादित बयानबाजी ने राजनीतिक और साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ा दिया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब नितेश राणे ने एक सभा के दौरान राज्य के कुछ शहरों में हाल ही में हुई हिंसक घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए पुलिस को 24 घंटे की छुट्टी देने की बात कही और चुनौती दी कि तब हिंदू समुदाय अपनी ताकत दिखाने के लिए मैदान में उतरेगा। इसके बाद देखना है कि अगले दिन सुबह हिंदू दिखते हैं या मुसलमान।” यह बयान महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में गणपति विसर्जन के दौरान हुई हिंसक घटनाओं के संदर्भ में दिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समुदाय इन धमकियों से डरने वाला नहीं है और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने की चुनौती दी।
वारिस पठान का पलटवार
नितेश राणे के इस बयान पर एआईएमआईएम नेता वारिस पठान ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने राणे को धमकी भरे लहजे में कहा, “मस्जिद में आएगा तो दो टांगों पर, लेकिन जाएगा स्ट्रेचर पर।” उन्होंने नितेश राणे के बयान को गैर-जिम्मेदाराना और साम्प्रदायिक बताया और आरोप लगाया कि बीजेपी चुनाव से पहले महाराष्ट्र में दंगे भड़काने की कोशिश कर रही है।
साम्प्रदायिक तनाव की चेतावनी
इस बयानबाजी ने राज्य में साम्प्रदायिक तनाव बढ़ा दिया है। दोनों नेताओं के बीच यह तीखा संवाद उस समय हुआ जब राज्य में चुनावी माहौल बनने जा रहा है। ऐसे बयानों से राज्य में साम्प्रदायिक तनाव और हिंसा भड़कने की आशंका बढ़ गई है। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि महाराष्ट्र में राजनीति और साम्प्रदायिक मुद्दे आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। दोनों दलों के नेताओं द्वारा दिए गए बयान चुनावी राजनीति का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन इसका असर राज्य की सामाजिक समरसता पर गंभीर हो सकता है।
सरकार और पुलिस की भूमिका
इस स्थिति में महाराष्ट्र सरकार और पुलिस की भूमिका बेहद अहम हो जाती है। ऐसे भड़काऊ बयानों पर नियंत्रण और साम्प्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
नितेश राणे और वारिस पठान के बयान से उत्पन्न विवाद से स्पष्ट है कि साम्प्रदायिक मुद्दे राजनीतिक हित साधने का साधन बनते जा रहे हैं। इस विवाद ने राज्य में कानून-व्यवस्था और साम्प्रदायिक सौहार्द्र को प्रभावित करने की क्षमता को उजागर किया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व कैसे इस स्थिति से निपटते हैं और राज्य में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाते हैं।

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