
नागपुर। राज्य सरकार द्वारा मराठा समाज को ओबीसी से आरक्षण देने के फैसले को लेकर ओबीसी संगठनों में विरोध तेज़ हो गया है। ओबीसी नेता विजय वडेट्टीवार ने घोषणा की कि इस निर्णय के खिलाफ दो स्तरों पर लड़ाई लड़ी जाएगी। पहली न्यायिक स्तर पर और दूसरी सड़क पर आंदोलन के रूप में। उन्होंने कहा कि विदर्भ के वकील संघ अदालत में मजबूती से पक्ष रखेंगे और उन्हें पूरा समर्थन दिया जाएगा। साथ ही, अक्टूबर में नागपुर में ओबीसी का एक विशाल मार्च आयोजित किया जाएगा। शनिवार को नागपुर के रवि भवन में विदर्भ के नागपुर, भंडारा, गोंदिया, गढ़चिरौली, चंद्रपुर, वर्धा, यवतमाल, अमरावती, अकोला, बुलढाणा और वाशिम जिलों के ओबीसी संगठनों की बैठक हुई। इस बैठक में तीन घंटे तक चली मैराथन चर्चा के दौरान नेताओं ने मराठा समुदाय को ओबीसी से आरक्षण देने का स्पष्ट विरोध किया। वडेट्टीवार ने कहा- राज्य सरकार ने पहले सरकारी फैसले में ‘पात्र’ शब्द का इस्तेमाल किया था, लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया, जिसका अर्थ है कि मराठा समाज को सीधे ओबीसी से आरक्षण दिया जाएगा। यह मूल ओबीसी समाज के साथ अन्याय है। पहले ही 27 प्रतिशत आरक्षण में से 13 प्रतिशत कम हो चुका है। यदि शेष 19 प्रतिशत भी मराठा समाज को दे दिया गया, तो ओबीसी के हिस्से में क्या बचेगा? उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरक्षण के खिलाफ है और उनकी विचारधारा के लोग सत्ता में हैं, इसलिए ओबीसी के अधिकारों पर खतरा बढ़ा है। वडेट्टीवार ने कहा, यदि हम आज कानूनी लड़ाई नहीं लड़ेंगे तो ओबीसी को बड़ा झटका लगेगा। सरकार की योजना ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण खत्म करने की है। बैठक में विधायक अभिजीत वंजारी, पूर्व सांसद खुशाल बोपचे, शेखर सावरबांधे, नागेश चौधरी, ईश्वर बलबुधे, दिवाकर गामे, ज्ञानेश वाकुडकर, एडवोकेट किशोर लांबट, एडवोकेट पुरुषोत्तम सातपुते, बलिराज धोटे, अंजलि साल्वे, विलास काले, रमेश पिसे और अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। वडेट्टीवार ने सभी से अपील की कि वे उन नेताओं का समर्थन करें जो ओबीसी अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से हों। 12 सितंबर को नागपुर में प्रमुख ओबीसी नेताओं की अगली बैठक बुलाई गई है, जिसमें आंदोलन की आगे की रणनीति तय की जाएगी।