Saturday, March 8, 2025
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़: स्थायी टकरावपूर्ण रुख लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध

मुंबई। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि स्थायी टकरावपूर्ण रुख लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के विपरीत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत यदि लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहेगा तो वह गौरव की नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा। उपराष्ट्रपति मुरली देवड़ा स्मृति संवाद कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी.राधाकृष्णन, उपराष्ट्रपति की पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, सांसद मिलिंद देवड़ा, सांसद अशोक चव्हाण, अमृता फडणवीस, हेमा देवड़ा, कोटक बैंक के राघवेंद्र सिंह सहित विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य उपस्थित थे।
‘नेतृत्व और सुशासन’ पर जोर
कार्यक्रम में सार्वजनिक नीति, सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास जैसे विषयों पर चर्चा के उद्देश्य से ‘नेतृत्व और सुशासन’ की मूल अवधारणा को अपनाने की घोषणा की गई। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि नागरिकों को अपने प्रतिनिधियों को जवाबदेह बनाना चाहिए क्योंकि जागरूकता लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि शासन कार्यपालिका शाखा का विशेषाधिकार है, क्योंकि यह जनता और विधायिका के प्रति जवाबदेह है। धनखड़ ने कहा, सत्य की जीत होती है, यह मुण्डकोपनिषद् का सिद्धांत है। उन्होंने वेदों के इस दर्शन को भी उद्धृत किया कि ठसभी को एक साथ आकर काम करना चाहिए।
मुरली देवड़ा के योगदान को याद किया गया
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दिवंगत नेता मुरली देवड़ा के सामाजिक कार्यों और सौहार्दपूर्ण संबंधों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने जनता की सेवा की भावना से काम किया। शिंदे ने छत्रपति शिवाजी महाराज के नेतृत्व को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुशासन की दिशा में पहल कर भारत की प्रतिष्ठा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाया है। कार्यक्रम का उद्घाटन सांसद मिलिंद देवड़ा ने किया।

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