
पुणे। बहुचर्चित वैष्णवी हगवणे मृत्यु प्रकरण में आखिरकार आरोपी निलेश चव्हाण को पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने नेपाल सीमा से गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तारी से पहले वह कई दिनों से फरार था और पुलिस को आशंका थी कि वह देश से बाहर भाग सकता है, इसी वजह से उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया था। इस गिरफ्तारी को पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है। पुलिस के अनुसार, आरोपी निलेश चव्हाण को अब पुणे लाया जा रहा है, जहां उससे गहन पूछताछ की जाएगी। बीते कुछ दिनों में आरोपी की तलाश के लिए पुलिस ने विशेष अभियान चलाया था। जानकारी के मुताबिक, निलेश ने वैष्णवी के नवजात शिशु को दो दिन तक अपने कब्जे में रखा और जब परिजन बच्चे को लेने पहुंचे तो उन्हें बंदूक दिखाकर धमकाया, जिसकी शिकायत थाने में दर्ज कराई गई थी। इसके बाद वह फरार हो गया था।
आठ विशेष टीमों की छापेमारी
पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने निलेश की तलाश के लिए आठ विशेष टीमें गठित की थीं। इन टीमों ने पुणे, मुंबई, कोकण, कर्नाटक और गोवा सहित कई स्थानों पर छापेमारी की। साथ ही, निलेश के दोस्तों, रिश्तेदारों और संपर्क में रहने वालों से पूछताछ की गई। आखिरकार, पुलिस को नेपाल बॉर्डर पर उसे गिरफ्तार करने में सफलता मिली।
फर्जी कॉल से पुलिस को भटकाने की कोशिश
इस बीच, नांदेड सिटी पुलिस को एक फर्जी कॉल मिला, जिसने दावा किया कि आरोपी निलेश चव्हाण उसके कब्जे में है। कॉलर ने पुलिस के 112 इमरजेंसी नंबर पर सूचना दी, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन जांच में पता चला कि सूचना झूठी थी। इस मामले में कॉल करने वाले व्यक्ति पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है।
स्टैंडिंग वॉरंट और संपत्ति जब्ती की तैयारी
पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने 29 मई को ही आरोपी के खिलाफ ‘स्टैंडिंग वॉरंट’ जारी कर दिया था। अदालत का यह आदेश इसलिए आया क्योंकि निलेश काफी समय से फरार चल रहा था और उसकी गिरफ्तारी की कोई संभावना नहीं दिख रही थी। पुलिस उपायुक्त विशाल गायकवाड़ ने स्पष्ट किया था कि निलेश की गिरफ्तारी के लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं और उसकी संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है। इस प्रकरण में आरोपी की गिरफ्तारी के साथ पुलिस जांच को अब निर्णायक दिशा मिलने की उम्मीद है, और पीड़ित परिवार को न्याय की ओर एक बड़ा कदम हासिल हुआ है।