
मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में बुधवार को एक अहम घटनाक्रम देखने को मिला, जब शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे से मुलाकात की। यह बैठक राज ठाकरे के दादर स्थित आवास ‘शिवतीर्थ’ पर हुई, जहाँ दोनों नेताओं के साथ दलों के वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। गौरतलब है कि यह दोनों चचेरे भाइयों की लगातार दूसरी सार्वजनिक मुलाकात है। इससे पहले, उद्धव ठाकरे गणेशोत्सव के अवसर पर शिवतीर्थ पहुँचे थे। इससे पहले भी, 5 जुलाई को मुंबई के वर्ली में दोनों नेताओं ने राज्य सरकार द्वारा स्कूलों में कथित तौर पर हिंदी थोपे जाने के विरोध में आयोजित एक संयुक्त रैली को संबोधित किया था। उस रैली ने 19 साल बाद उद्धव और राज ठाकरे को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया था।
संयुक्त रैली में उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वे “साथ रहने के लिए साथ आए हैं”, जबकि राज ठाकरे ने दिवंगत बाल ठाकरे के सपनों को पूरा करने की बात कही थी। हालांकि, राज ठाकरे ने स्पष्ट किया था कि राजनीतिक सुलह पर फैसला बाद में होगा और अगर गठबंधन होता है तो उसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी। बुधवार की मुलाकात पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ शिवसेना (यूबीटी) नेता भास्कर जाधव ने इसे संभावित गठबंधन का संकेत बताया। उन्होंने कहा- गठबंधन पर चर्चा सार्वजनिक रूप से नहीं होती, बल्कि इसे गंभीरता से और गुप्त रूप से किया जाता है। यह मुलाकात इस बात का संकेत है कि भविष्य में क्या होने वाला है। मराठी माणूस का सपना अब पूरा हो सकता है। महाराष्ट्र लंबे समय से विभाजित था और अब एकजुट होने की ओर बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि उद्धव और राज ठाकरे की नजदीकियां न केवल मराठी वोट बैंक को फिर से एकजुट कर सकती हैं, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर को भी बदल सकती हैं।




