Monday, June 30, 2025
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विधानसभा मानसून सत्र के पहले दिन डॉ. जयंत नार्लीकर, अरुण काका जगताप और डॉ. रामदास अंबटकर को श्रद्धांजलि, अध्यक्ष ने पेश किया शोक प्रस्ताव

मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को एक भावपूर्ण क्षण उस समय देखने को मिला जब विधान परिषद के अध्यक्ष प्रो. राम शिंदे ने तीन दिवंगत महान हस्तियों – खगोलशास्त्री डॉ. जयंत नार्लीकर, विधान परिषद सदस्य अरुण काका भीमराव जगताप, और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. रामदास भगवानजी अंबटकर – के निधन पर शोक प्रस्ताव सदन में पेश किया। डॉ. जयंत नार्लीकर के कार्यों की विशेष रूप से प्रशंसा करते हुए अध्यक्ष शिंदे ने कहा कि कोल्हापुर में जन्मे नार्लीकर भारत ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान जगत में प्रतिष्ठित नाम रहे हैं। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी करने के बाद उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में 16 वर्षों तक खगोल भौतिकी विभाग का नेतृत्व किया। इसके साथ ही, पुणे में उन्होंने अंतर-विश्वविद्यालय खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी केंद्र (IUCAA) की स्थापना कर भारत को इस क्षेत्र में वैश्विक मानचित्र पर स्थापित किया। उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और महाराष्ट्र भूषण जैसे अनेक राष्ट्रीय सम्मानों से नवाज़ा गया। अरुण काका जगताप, जो अहिल्यानगर जिले के भिंडी गांव से थे, ने स्थानीय स्वशासन निकायों से लेकर दो बार विधान परिषद सदस्य चुने जाने तक की राजनीतिक यात्रा में जनसेवा को प्राथमिकता दी। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों, सामाजिक संगठनों और खेल क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया। अध्यक्ष शिंदे ने कहा कि उनके निधन से स्थानीय कार्यकर्ताओं और आम जनता को गहरा दुख हुआ है। वहीं, डॉ. रामदास अंबटकर की जीवन यात्रा और सामाजिक संघर्षों को भी याद किया गया। वर्धा जिले में जन्मे अंबटकर सहकारिता आंदोलन से जुड़े रहे और वे राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य के रूप में भी सक्रिय थे। 2018 में वे विधान परिषद सदस्य बने। छात्र आंदोलन में उन्होंने दो दशकों से अधिक समय तक योगदान दिया, जिसे अध्यक्ष ने आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी बताया। सत्र की शुरुआत तीनों हस्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई, और सदन ने उनके बहुमूल्य योगदान को याद करते हुए एक मिनट का मौन भी रखा। अध्यक्ष शिंदे ने कहा, “इन विभूतियों का जीवन और कार्य हमें सदा प्रेरणा देंगे। उन्होंने जो मार्ग प्रशस्त किया है, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए दीपस्तंभ की तरह रहेगा।”

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